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पौराणिक

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 पवित्र पर्व के विषय में पता हो. मैं आपको बता देना चाहता हूँ की बाकी के भारतीय पर्वों की तरह गणगौर भी एक खूब पावन पर्व होता है. वैसे तो भारत को पर्वों का देश कहा जाता है क्योंकि भारत में अनेकों प

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को भारतीय नववर्ष के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक स्त्रोतों के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था.वस्तुतः नवसंवत्सर

श्रीकृष्ण सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा हैं । यह सारा संसार उन्हीं की आनन्दमयी लीलाओं का विलास है । श्रीकृष्ण की लीलाओं में हमें उनके ऐश्वर्य के साथ-साथ माधुर्य के भी दर्शन होते हैं । ब्रज की लीलाओं

 शिवजी की भक्ति का दिन है सोमवार, शिवमहापुराण के अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जो निष्कल व सकल दोनों हैं, यही कारण है कि एकमात्र शिवजी का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता

पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं। चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद

इस जगह का नाम कन्‍याकुमारी पड़ने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने असुर बाणासुर को वरदान दिया था कि कुंवारी कन्या के अलावा किसी के हाथों उसका वध नहीं होगा। प्राचीन काल में

हे मां गंगे, आ जाओ सम्मुख, हाथ जोड़कर, नतमस्तक हूं, विनती करता हूं तुम से, तुमने मुझको जन्म दिया, एक नाम दिया था, देवव्रत, पितु की इच्छा, की पूर्ति हेतु, भीष्म प्रतिज्ञा, कर डाली, तब पितु ने, मुझे भीष

हाथ जोड़ करी ले विनतीहमरे घरे आई न भवानीचउका पुरवली ऐ माईफल ले अइली होनिमिया के डाढ़ नीचे झुलुवा लगवली होनिमिया के डाढ़ नीचे......आई न आई माई झुलुवा झुलाइब होरउआ खातिर गोटेदार चुनरिया हम लाइब होनिमि

किसी नगर में एक पराक्रमी राजा राज्य करता था। राजा बहुत दयालु स्वभाव का था। अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। प्रजा भी अपने राजा से बहुत खुश थी। राजा की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी वह  जरूरतमंद

आवता छठ के परबछठ कइल हमनी के धरमले के चली न छठ घाटे रखी दउरा अपना माथेदेखी घाट बनल बा सुहानाअब रउआ करि ना बहानाआवता छठ के परब.....बाजारी से केरा हम ले अइनीउखड़ी खेते से मंगवलीलिप-पोत चूल्ही के हम,

देवी सती दक्ष प्रजापति की पुत्री थी और भगवान शिव की पहली पत्नी। देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों का त्याग कर दिया था, ये बातें तो सभी जानते हैं लेकिन देवी पुराण में इ

बिल्व पत्रत्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्र च त्रियायुधम।त्रिजन्म पाप संहारम बिल्व पत्र शिवार्पणम।।भगवान शिव को जो पत्र-पुष्प प्रिय हैं उनमें बिल्वपत्र प्रमुख है। श्रावण मास में बिल्वपत्र को शिव पर अर्पि

सत्य तीर्थ है,क्षमा करना भी तीर्थ है,अपने इंद्रियोंपर नियंत्रण रखना भी तीर्थ है,समस्त प्राणीयों पर दया करना भी तीर्थ है और अपने स्वभावमें सरलता रखना भी तीर्थ के समान है।दान तीर्थ है,मनका संयम भी तीर्थ

हमने बहोत बार अपने जीवन में व्यवहारिक रूपसे “प्राण” शब्द का उपयोग किया है , परंतु हमे प्राण के वास्तविकता के बारमे शायद ही पता हो , अथवा तो हम भ्रांति से यह मानते है की प्राण का अर्थ जीव या जीवात्मा ह

वाल्मीकि रामायण भगवान राम के जीवन और आदर्शों पर आधारिक एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें 5 ऐसे काम बताए हैं जो कि तब तक फल नहीं देते, जब तक मनुष्य झूठ बोलना न छोड़ दे। कोई चाहे कितनी ही कोशिश कर ल

'या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:शायद कोई ही माता का ऐसा भक्त हो तो इस स्तुति को नही जानता हो , देवी दुर्गा के कई रहस्य है जिसके विषय में जानेंगे  की द

भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं। यह भस्म कई प्रकार से बनती है, लेकिन कहते हैं कि खासकर मुर्दे की भस्म ही महाकाल में चढ़ाई जाती है। हालांकि वर्तमान में मुर्दे की भस्म का उपयोग नहीं होता है। आ

महाविद्द्या कमला को  महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है देवी लक्ष्मी सुख सौभग्य देने वाली है देवी को राजेस्वरी भी कहा जाता है । देवी सभी सोलह कलाओं में निपुण है । देवी की तंत्र पूजा अघोर लक्ष्म

 1. चैत्र 2. वैशाख3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़ 5. श्रावण 6. भाद्रपद 7. अश्विन 8. कार्तिक9. मार्गशीर्ष 10. पौष11. माघ 12. फाल्गुन चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास ह

शनिवार को हनुमान जी की पूजा क्यों?रामायण काल में जब हनुमान जी माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका में पहुंचे, तो उन्होंने वहां शनिदेव को उल्टा लटके देखा। कारण पूछने पर शनिदेव ने बताया कि ‘मैं शनि देव हूं और

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