ये दो तस्वीरें हैं। आईना भी हैं और आंसू भी हैं। नसीहत भी है, चेतावनी भी है। एक आज वायरल हुई खुशनुमा तस्वीर है और एक बरसों पुरानी...दुखांत तस्वीर। 1993 में वायरल हुई पुरानी तस्वीर ने फोटोग्राफर की झोली में बेशक पुलित्जर अवॉर्ड तो डाल दिया था, मगर मौत की नींद भी मुफ्त में दी थी। मगर आज की यह तस्वीर पेशेवराना तेवर पर इंसानियत के जज्बे की जीत की पटकथा लिखने वाली है। खबरों की खोज के बीच जैसे ही यह तस्वीर दिखी तो आंखों को बहुत ठंडक मिली।
फोटो ने बना दिया फोटोग्राफर को हीरो
एक बच्चे को गोद में लेकर भागता यह एक सीरियाई फोटोग्राफर है। जो बमबाजी से उजड़ चुके सीरियाई शहर अलेप्पो के निकट कैमरे के साथ मौजूद था। देखा कि कुछ आतंकी बच्चों को चिप्स देने की लालच में पास बुलाते हैं, इसके बाद बमविस्फोट करते हैं। इस हमले में 126 की मौत हुई, जिसमें 80 से अधिक बच्चे रहे। जब फोटोग्राफर अब्द अल्कादर हबक की नजर पड़ी तो उनके होश उड़ गए। कैमरे से तस्वीर लेने की जगह बमबाजी में घायल बच्चों को बचाने की ठानी। वह भयानक हादसा याद करते हुए हबक रो उठते हैं। कहते हैं कि जब वह पहले बच्चे के पास पहुंचे तो ,वह मर चुका था, फिर वह दूसरे बच्चे की ओर लपके, वह मुश्किल से सांस ले पा रहा था, सो, उन्होंने उसे उठाया और एम्बुलेंस की तरफ भागे। बकौल हबक-बच्चे ने खसकर मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, और मुझे देखे जा रहा था। उसकी पीड़ा अंतर्मन को घायल कर रही थी। इस सीरियाई फोटोग्राफर के इस जज्बे को दूसरे फोटोग्राफर मोहम्मद अलगरेब ने कैमरे में कैद कर दुनिया तक इंसानियत का पैगाम पहुंचा दिया। ऐसा नहीं हैं कि अलगरेब सिर्फ तस्वीरें लेने में बिजी रहे, बल्कि उन्होंने भी कई घायल बच्चों को एंबुलेंस तक पहुंचाने में मदद की। चूंकि इंसानियत के जज्बे को औरों तक भी पहुंचाना था, इस नाते उन्होंने तस्वीरें भी लीं।
फोटो ने बना दिया विलेन
मशहूर फोटोग्राफर केविन कार्टर को क्या मालुम रहा होगा कि जिस तस्वीर ने उनके हाथों में पुलित्जर अवॉर्ड की ट्राफी पकड़ा दी, वही तस्वीर मौत का सबब बनेगी। घटना 1993 की है। खैर आप यह कहानी सुन ही चुके होंगे, फिर भी बता रहे हैं। जब सूडान में भयानक अकाल पड़ा। लाखों लोग मरने लगे। तब मशहूर फोटोग्राफर केविन कार्टर अपने पेशेवर जुनून के चलते दक्षिण अफ्रीका से सूडान कूच कर गए। अकाल पीड़ितों के बीच वक्त गुजारकर दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरें कैद करते रहे। एक दिन
केविन कार्टर जब फोटो शूट कर रहे थे तभी उन्हें एक गिद्ध बच्ची के पास आता हुआ दिखाई दिया, लेकिन वो अपने काम में इतने मशगूल थे कि भूल गए की वो गिद्ध इस बच्ची को खाने आ रहा है, गिग्द्ध बच्ची के पास आता रहा और वो फोटो लेने में बिजी रहे। जब वो गिद्ध बच्ची को खा गया और उन्होंने कैमरा रखा। तब तक बच्ची के प्राण-पखेरू उड़ चुके थे। इस घटना ने उन्हें इतना द्रवित कर दिया कि वह दक्षिण अफ्रीका वापस आए तो डिप्रेशन में चले गए। फिर सुसाइड नोट लिखकर जान दे दी। दरअसल उस तस्वीर की वजह से दुनियाभर में कार्टर खूब कोसे गए। जब पेशे और इंसानियत के बीच किसी को एक को चुनना था, उस वक्त सही फैसला करने में कार्टर चूक गए थे। फोटोग्राफी पेशे को उन्होंने वरीयता दी और बच्चे की जान बचाने की जगह तस्वीर लेने में मगन रहे। वह फोटो भी बेशक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रहा, मगर कार्टर विलेन भी बने।