रांची: झारखंड पुलिस का जमीर जाग गया हैं अब नक्सलियों से मुकाबले के लिए खुद को तैयार करने में जुट गई है. गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में झारखंड पुलिस के डीजीपी डीके पांडेय और सीआरपीएफ डीजी आरआर भटनागर के साथ सीनियर पुलिस अफसरों की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस दौरान उन्होनें गुरु मंत्र दिया कि कैसे अपने दम पर नक्सलियों से लड़ाई लड़े इसमें सीआरपीएफ झारखंड पुलिस को मदद करेगी.
झारखंड पुलिस को नक्ललियों से लड़ने के लिए सीआरपीएफ की टीम गुरिल्ला वार की तकनीक का प्रशिक्षण अपने कैंप और ट्रेनिंग सेंटर में देगी. इससे इंडियन रिजर्व बटालियन (आइआरबी) को मजबूत करने में भी सहयोग मिलेगा. सीआरपीएफ डीजी आरआर भटनागर ने कहा कि नक्सल अभियान में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के बीच बेहतर तालमेल हैं हम दोनों मिलकर नक्सलियों का खात्मा करेंगे.
फोर्स को संसाधन मुहैया कराने की की गयी बात...
डीजीपी डीके पांडेय ने बताया कि नक्सलियों से मुकाबले के लिए झारखंड जगुआर यानी कि एसटीएफ को सशक्त किया जा रहा है. फिलहाल, बीएसएफ के 15 अफसरों को एसॉलट ग्रुप का कमांडर बनाया गया है, जबकि 22 और को एसॉल्ट ग्रुप का कमांडर बनाया जाना है. इसे लेकर सीआरपीएफ डीजी ने पूरा सहयोग करने की बात कही है. डीजीपी ने कहा कि नक्सल अभियान में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है. पैराशूट सहित अन्य चीजों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. जरूरत के मुताबिक अभियान में लगे फोर्स को संसाधन मुहैया कराए जाएंगे.
गुरिल्ला वार की तकनीक सिखाएगी सीआरपीएफ...
डीजीपी ने बताया कि विस्फोटकों को डिफ्यूज करने के लिए झारखंड जगुआर में छह बम निरोधक दस्ता से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है. दस्ते को ट्रेनिंग देने में सीआरपीएफ सहयोग करेगी. नक्सलियों को हर मोर्चो पर परास्त करने के लिए पड़ोसी राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की पुलिस के साथ संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाया जाएगा.
क्या करते हैं गुरिल्ला कमांडोज...
गुरिल्ला कमांडोज किसी भी हद तक जा सकते हैं. आस-पास मौजूद किसी भी चीज को अपना आहार बना सकते हैं. कमांडोज पेड़ की पत्तियां चबाकर अपना पेट भरते हैं. बांस की बल्लियों से पीने के लिए पानी निकालते हैं और गीली जमीन पर भी अपनी मेहनत और लगन से शोले पैदा कर देते हैं. इन घने जंगलों में गुरिल्ला कमांडोज को सिर्फ दुश्मन से ही नहीं सिचुएशन से भी लड़ना पड़ता है. खतरा सिर्फ हथियारबंद हमले और बारूदी धमाकों का ही नहीं है. यहां की हवा में भी जहर हो सकता है. पानी में भी प्वॉयजन हो सकता है. हो सकता है कि जवानों की जान लेने के लिए दुश्मनों ने यहां मौजूद नदी नालों में जहर मिला दिया हो.. ऐसे में ये जवान कैसे अपनी प्यास बुझाते हैं.