🌿दिनांक :- 29/05/22🌿
🌺सुनों न! दैनंदिनी,
पहाड़ कितने ऊंचे ऊंचे विशाल और अडिग होते हैं। लेकिन इंसान के लगभग एक ढेड किलो के दिमाग ने पहाड़ों को भी हिला दिया। बिना पंखों के आसमान में उड़ान भरता है मानव।
पानी पर आसानी से वितरण करता है। गर्भ में पल रहे भ्रूण की धड़कन सुन सकता है।
सूर्य के प्रकाश की गति नाप ली है।🌞
चाँद पर पहुंच गया है वह चाँद जिसका जिक्र केवल कविताओं और कहानियों में करते थे। वहां पहुंच कर वहां के वातावरण की पूरी जानकारी ली है मानव ने।🌛
आज मानव ने सचमुच बहुत तरक्की कर ली है धन्य है मानव मस्तिष्क इतने बड़े से बड़े विशालकाय जीव जंतुओं पर भी अपना रौव दिखाता है। और हर असंभव कार्य को संभव बनाता है।🤴
लेकिन वो कहते हैं ना कि शेर को सवा शेर मिलता ही है।🐅 एक छोटे से वायरस ने पूरी मानव प्रजाति की सत्ता को झकझोर दिया। वायरस जिसका खुद का कोई वजन ही नहीं है, तो दिमाग के वजन की तो क्या ही कहना ।
एक अद्रश्य दुश्मन ने इंसान को ललकारा। सच में क्या यही प्रकृति का नियम है, कि कोई कितनी भी आसमान की ऊंचाइयों में उड़े लेकिन एक न एक दिन उसको जमीन की तरफ रुख करना ही पड़ता है।
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं.......😊