🌿दिनांक :- 04/05/22🌿
🌺सुनो न! दैनन्दिनी,
मेरी बुक काव्य भारती विजेता घोषित हो गई है। और बहुत जल्द ही प्रिंट होकर मेरे हाथों में आ जाएगी। सच यह सिर्फ एक बुक नहीं मेरी पहचान है।
कभी कोई मुझसे पूछता है कि
आप कहां जॉब करतीं हैं ?
क्या आप क्या करतीं हैं?
तो कसम से ऐसा लगता है जैसे हजारों डंक मार दिये हों।🦂
गर्दन को थोड़ा झुका कर, नजरों को थोड़ा चुरा कर बोलती -
"कुछ नहीं बस हाउसवाइफ हूं।"😌
बताते हुए अपनी नाकामयाबी का परिचय देती। जॉब करने वाली महिलाओं के बीच खड़ी अपने आपको मैं असहज महसूस करती । खुद को कमतर आंकती।
ऐसा नहीं है कि हाउस वाइफ छोटी मोटी हस्ती होती है। और ऐसा भी नहीं है कि मैं खुश नहीं हूं। लेकिन अपनी एक पहचान बनाने की तड़प हमेशा मन को कचोटती थी ।
मेरे हाथों में मेरी बुक आऐगी, मेरे नाम के साथ। और मेरी पहचान होगी कि मैं एक लेखिका हूं।
लिखने का जुनून मेरी पहचान बन गया है। मैं यूट्यूब पर कई मोटिवेशनल वीडियो देखती रहती। सभी कहते अपने हुनर से पहचानो। वह करो जो तुम्हें अच्छा लगे ।
मैं सोचती कि मेरे अंदर ऐसा कौन सा हुनर है ।🤔
मैं समझ नहीं पा रही थी।
कुकिंग ,सिलाई और भी बहुत से काम में सब में ऐवरेज हूं । लेकिन विशेष क्या है ?
और जब लिखना शुरू किया तो सच में रात को दो दो बजे तक जाग कर लिखा।
अपनी पसंद के काम में थकान नहीं होती है ।जुनून होता है। लगन होती है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सही कहा है-
"सपने वह नहीं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने तो वह है जो तुम्हें सोने नहीं देते।"
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं.....😊