🌿दिनांक :- 01/05/22🌿
🌺सुनो ना दैनन्दिनी,
सबकी बातें बड़े चाब से सुनती हो। तो आज मैं भी आ गई तुमसे अपने मन के जज्बात कहने।
अपने परिचय में बस यही कहूँगी कि मैं हाउस वाइफ हूं । लिखने का शौक बचपन से मन के किसी कोने में छुपा हुआ था । तब डायरी में शायरी लिखा करती थी। एक कविता भी लिखी थी जो मेरी स्कूल मैग्जीन में छपी थी। उस कविता को मेरे लेखन की नींव की ईंट कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगा क्योंकि जब जब कभी लिखने का सोचा वो कविता याद आई ।
मैैं समय-समय पर डायरी लिख लेती थी। मुझे बचपन से डोट (पेन) बहुत पसंद है। उस समय रिफिल के जमाने में जहां एक पेन लेकर उसे रिफिल बदल बदल के कई दिनों तक इस्तेमाल किया जाता था मैं अलग-अलग तरह के पेन का कलेक्शन बनाया करती थी। और दो-चार डायरी हमेशा मेरे पास रहतीं थीं ।
आज भी मैं अपने बच्चों के लिए खुद ही पेन सिलेक्ट करके खरीद कर लाती हूं।
लिखने का शौक जरूर रहा लेकिन कभी सही दिशा नहीं मिली। शब्द.इन के साथ दिशा मिली है और विश्वास है कि मंजिल भी मिलेगी।🤞
पहले मुझे लिखने का शौक था और पढ़ने का भी । बचपन में चंपक, नंदन बाल पत्रिकाओं की कहानियाँ पढ़ती थी कुछ जासूसी उपन्यास भी पढ़े हैं।
लेकिन जीवन जंजाल में जिदंगी ऐसी उलझी कि उपन्यास का तो छोड़िए व्हाट्सएप पर कोई जोक अगर चार लाइन से ज्यादा होता तो उसे भी नहीं पढ़ती थी। अब लिखने के साथ साथ पढ़ना भी शुरू किया है ।
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं......😊