🌿दिनांक :- 19/05/22🌿
🌺सुनो न! दैनन्दिनी,
शब्द.इन पर मैंने पहली रचना अक्टूबर 2021 में पोस्ट की थी। उसके बाद दो-चार और रचनाएं पोस्ट की।✍🏻
मेरी एक रचना 'त्योहार की यादें' दैनिक प्रतियोगिता में विनर हुई और इनाम के तौर पर मुझे 200 रुपये भी मिले थे।🤗
शुरू शुरू में यहां कुछ ज्यादा समझ में नहीं आता था। और कुछ दिनों बाद मैंने शब्द पर लिखना बंद कर दिया था। बस कभी-कभी ओपन करके देख लेती थी और फिर वापस बंद कर देती थी।
फिर एक दिन फरवरी लास्ट वीक समथिंग में मैंने शब्द को ओपन किया और वहां पर काव्या जी की पुस्तक "काव्या की काव्यांजलि" को देखा और उसको पेपरबैक का मूल्य देखा तो मुझे समझ में आया कि यह उनकी बुक छप गई है। 😍तब मैंने उनसे संपर्क किया और उनसे पूछा।
उन्होंने मुझे प्रतियोगिताओं के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि मासिक प्रतियोगिता और बेस्टसेलर प्रतियोगिता में भाग लेकर आप भी अपनी बुक छपवा सकतीं हैं।☺️
बस तब से ही मन में एक आस जागी कि अब तो अपनी बुक छपवानी ही है।
और मेने मार्च की प्रतियोगिता में भाग लिया और परमात्मा की कृपा से विनर भी हुई।👸 और अभी वह मेरी बुक मेरे पास आ रही है। अभी 'ऑन द वे' है।🤗🤗
🏆मेरे सपने को साकार कर दिया शब्द.इन ने।💫
उसके बाद कई बार दैनिक प्रतियोगिताओं में विनर भी हुई । उनकी प्राइस मनी से मैंने बुक्स खरीदी।
मार्च की पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में विनर होने के बाद मैंने अप्रैल की पुस्तक लेखन प्रतियोगिता और बेस्टसेलर प्रतियोगिता में भी पार्ट लिया है। और मई की पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भी और पार्ट लिया है। अब देखते हैं...🤞
लिखने का सिलसिला जारी है। और लिखने की धुन सवार रहती है। दैनिक लेखन प्रतियोगिता का जो प्राइस मिलता है उनसे मैं बुक खरीद लेती हूं।आज मेरे वैलेट में 350 रुपये थे। तो मेने बुक्स खरीद ली।
मेरे पुस्तकालय में बहुत सारी बुक्स हो गई हैं। जिनमें से कुछ को पढ़ लिया है, कुछ पढ़ रही हूँ। और कुछ आगे पढूगीं।😊
अब कल बताऊंगी कि मैंने शब्द पर कौन-कौन सी बुक खरीदीं हैं।
आज के लिए इतना ही,
कल मिलते हैं......😊