🌿दिनांक :- 22/05/22🌿
🌺 सुनो न! दैनन्दिनी,
आज मेरी पहली बुक छप कर मेरे हाथों में आई है। आज मेरे पैर जमीन पर नहीं हैं।🥳🥳
जैसे ही पार्सल आया, सबसे पहले एक बुक को निकाल कर अपने आराध्य के चरणों में समर्पित किया और उनको नमन किया।🙌
फिर बाकी बुक को देखा उलट-पुलट कर। पीछे मेरा फोटो भी है।🤗
फिर बुक का फोटो खींचकर स्टेटस और शब्द.इन के व्हाट्सएप ग्रुप पर डाला।
और थोड़ी ही देर में बधाइयों का तांता लग गया।
सभी को हृदय से आभार🙏🙏
सचमुच शब्द मंच ने मेरे सपने को साकार कर दिया है। बहुत-बहुत आभार शब्द मंच और सभी पाठकों को🙏🙏
आगे भी अपना स्नेह और सहयोग ऐसे ही बनाये रखना.......