🌿दिनांक ;- 16/05/22🌿
🌺सुनो न! दैनंदिनी,
रिश्तों में अब आत्मीयता नहीं रही है। अपनापन, मेल मिलाप जाने कहां खो गया है?🙄 और जो बचा है उसमें सिर्फ दिखावा दिखाई देता है । हर इंसान अपने में ही खोया है। सिर्फ अपने बारे में सोचता है।😑
हम अपनी आगामी पीढ़ी को क्या सौगात दे रहे हैं । नई नई टेक्नोलॉजी📱,भौतिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित आरामदायक जिंदगी, जीविकोत्पार्जन के नए नए साधन । मंगल ग्रह , सूरज के वातावरण की जानकारी ,पृथ्वी के गर्भ के रहस्य, यह सारी चीजें बता रहे हैं।
लेकिन संस्कार....🤔
संस्कार तो जैसे छूटते जा रहे हैं।😐
अब पैर छूने के तरीके को ही देख लो।
पहले बैठ कर दोनों हाथों से पैर छुए जाते थे🙌। फिर बैठने की जगह थोड़ा सा झुक कर दोनों हाथों से पैर छूने लगे 🙇♀️।
फिर धीरे-धीरे दोनों हाथों की जगह एक हाथ से पैर छूने लगे । अब तो बड़ी फुर्ती में थोड़ा सा आगे झुके एक हाथ को पैरों पर टच किया और फिर माथे तक भी ना ले गए बस बीच रास्ते में ही सीने तक ले गए 😐।
उसके बाद थोड़ा झुके और पैरों तक भी नहीं पहुंचे, घुटनों को टच किया और हाथ हवा में लहरा दिया 😑।
है ना मजेदार😅
और अब आगे न जाने किस तरीके से पैर छुए जाएंगे ।🤔
सच में बहुत सी चीजों में बदलाव हो गया है। और रिश्ते....
रिश्ते तो जैसे अपना वजूद ही खो रहे हैं। रिश्तों में अब सिर्फ फॉर्मेलिटीज रह गई है ।🤷♀️
पहले तीज त्योहारों पर एक दूसरे के घर मिठाइयां भेजी जाती थी🥮🍩। और अब व्हाट्सएप फेसबुक के स्टेटस पर सिर्फ मैसेज भेजे जाते हैं।💬
और इमोजी यह तो बड़ी कमाल की चीज है हर छोटी बड़ी खुशी ....🤗, गम....😭 , उत्साह ....😃 हर चीज को दर्शाने के लिए एक नया इमोजी चिपका दिया जाता है। 😁
किसी के घर जाने की फुर्सत ही नहीं हैं या यूँ कहें कि हसरत ही नहीं है।😬
पहले गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर🏡 जाते थे। पूरी गर्मियां वही रहते थे। लेकिन अब तो बच्चे छुट्टियों में कुछ ना कुछ सीखने के बहाने कहीं जाना पसंद ही नहीं करते हैं।🤦♀️
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं .......😊