🌿दिनांक :- 10/05/22🌿
🌺सुनो न! दैनन्दिनी,
एक रचना पढ़ी । बेहद दुखद वर्णन था उसमें..... पढ़कर सचमुच अंदाजा लगाया जा सकता था लिखने वाले के दर्द का...
कितनी वेदना थी एक एक शब्द में ....
कमेंट करने के लिए कमेंट बॉक्स ओपन किया। और वहां पहले से ही दो तीन कमेंट थे।जिन्हें पढकर बहुत ही हैरानी हुई।
एक था बहुत सुंदर रचना....
और एक था 👌🏻👌🏻
मतलब कुछ भी....
अरे कमेंट करने से पहले रचना पढ़ तो लेते .......अगर पढ़ने का टाइम नहीं है तो कमेंट करने की फॉर्मेलिटी क्यों ??
किसी ने कब , किस भाव से कुछ लिखा है वह पढ़े बिना कोई प्रतिक्रिया कैसे दी जा सकती है और उसकी भावनाओं का क्या ?
जब वो कमेंट देखता होगा तो सोचो ....क्या गुजरती होगी उस पर .....
सोचनीय है....
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं ........😑