नई दिल्ली : पिछले एक महीने से समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार में चल रही घमाशान के चलते सूबे का प्रशासन भी बेलगाम हो चुका है. बताया जाता है घर से निकालकर सड़क पर आ पहुंचे झगडे की घमाशान में कब कौन अफसर बलि का बकरा बन जाये. इसको लेकर अफसरों में शिथिलता नहीं दिखाई दे रही है.
अफसर अपने को समझ रहे हैं असुरक्षित
जिसके चलते सूबे के मुख्यसचिव हो या फिर प्रदेश के DGP कोई भी अपने आपको सुरक्षित नहीं समझ रहा है. जिसके चलते अफसर अपने को लेकर सुरक्षित नहीं हैं. इसी का नतीजा है कि मथुरा के बाद अब वाराणसी जय गुरुदेव के सत्संग में शनिवार को यह हादसा हो गया. बताया जाता है कि शनिवार को काशी की शिव नगरी बनारस के राजघाट पुल के समीप जयगुरुदेव के समागम में भगदड़ होने से 24 लोगों की मौत हो गयी. जिनमे 15 महिलाएं और 4 पुरुष शामिल है. जबकि प्रदेश के एडीजी दलजीत चौधरी ने 24 लोगों के मरने की पुष्टि की है.
अनुमति 3 हजार की पहुंच गए 1 लाख
इस पूरे मामले में वाराणसी परिक्षेत्र के आईजी एसके भगत का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर सत्संग में 3 हजार लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गयी थी. जबकि सत्संग में 80 से 90 हजार लोगों की भारी भीड़ हो गयी, जिसके चलते संकरा रास्ता होने के चलते भीड़ में एक बुजुर्ग की धक्का मुक्की के चलते मौत हो गयी. जिसको लेकर सत्संग में भगदड़ मच गयी, इस भगदड़ के चलते करीब 24 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी. साथ ही घटनास्थल पर लोगों के सामान भी बिखरे हुए पड़े मिले हैं.
वाराणसी हादसे का जिम्मेदार प्रशासन
इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की लापरवाही सीधे तौर पर मानी जायेगी कि जब प्रशासनिक अनुमति 3 हजार लोगों की थी तो उसके सापेक्ष में सत्संग में तीस गुना भीड़ यदि सत्संग स्थल पर पहुंची तो ड्यूटी पर जिम्मेदार अधिकारियों ने कौन सी कार्यवाही की, क्या उन्हें इस बात का जरा सा भी आभास नहीं हुआ कि सकरा रास्ता होने के साथ-साथ यदि 90 हजार लोग सत्संग में आ पहुंचे तो भगदड़ होना तो स्वाभाविक है, सवाल इस बात का है कि जब सत्संग में भीड़ 1 लाख करीब हो गयी तो प्रशासन के अफसरों ने इस बात कि सुचना अपने अफसरों को क्यों नहीं दी ?
CM की लगाम से बाहर अफसर
बहरहाल सीएम अखिलेश अगर इस मामले में प्रशासन के किसी जिम्मेदार अफसर के खिलाफ कोई कार्यवाही करते हैं तो उनके पिता और पार्टी मुखिया मुलायम उनसे नाराज हो सकते हैं. क्योंकि वाराणसी के IG दलजीत चौधरी मुलायम के काफी करीबी अफसरों में से हैं. इसी तरह डीएम परिवार के एक चाचा के बहुत नजदीकी है. ऐसे में सपा परिवार में चल रही अंदरूनी कलह के कारण सूबे में सीएम अखिलेश की लगाम से बाहर हो चुके है अफसर.