जमशेदपुर : मैं यूनिर्वसिटी ऑफ न्यूयॅार्क में पढ़ाई कर रहा था. जैसे आम यूथ पढाई कर नौकरी खोजता है मैं भी खोजने निकला . पता चला कि मेरे एक प्रोफेसर ब्रूश मायस वांडर को ऑफिस असिस्टेंट की जरुरत है. इंटरव्यू में मुझे उन्होंने रिजेक्ट कर दिया. शायद उन्हे मुझमें कोई प्रतिभा नहीं दिखी. इसके बाद मैने अपना स्टार्ट अप शुरु किया . शुरु में काफी तकलीफ हुई . लेकिन आठ सालों में स्थिति यह है कि मैं अब यूथ एंटरप्रेनेयोरशिप को आगे बढ़ाने के लिए 650 करोड़ रुपये देने के लायक हूं'' एक हजार करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी ग्लोबल बिजनेस इक्यूबेटर के चेयरमैन 29 साल के श्रीनिवास गोगिनेनी ने एक सांस में अपने सक्सेस स्टोरी कर सुनाई. दिलचस्प यह भी है कि उन्हें ऑफिस असिस्टेंट के इंटरव्यू में रिजेक्ट करने वाले प्रोफेसर ब्रूश मायर वांडर अब उनके बिजनेस पार्टनर हैं. श्रीनिवास ने बताया कि प्रोफ्रेसर ब्रूश ने जब उन्हें रिजेक्ट किय़ा था , तब वह तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार भी था.
इनोविट बनने की अपील
श्रीनिवास एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में आयोजित स्टार्टअप चैलेंज कार्यक्रम के दौरान कालेज के युवाओ को एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़ने का आव्हान किया. उन्होनें कहा कि उनमें और दूसरे युवाओं में किसी प्राकर का कोई अंतर नहीं है. उन्होने कहा ''मैं भी आम यूथ की तरफ साधारण परिवार से ताल्लूक रखता हूं . पिता किसान हैं. प्रारंभिक शिक्षा विजडवाड़ा में हुई लेकिन दुनिया के 34 देशों में व्यापार फैला हुआ है'' श्रीनिवास ने स्पष्ट किया कि अपनी कहानी बताने के पीछे उनका मकसद सिर्फ इतना है कि अगर कोई सच्चे दिल से चाह ले कि उसे खुद को साबित कर दिखाना है तो फिर कुछ भी असंभव नही है. उन्होनें कहा कि झारखंड के लोगो में पोटेंशियल है, आइडिया भी है, उन्हें सही तरीके से गाइड करने की जरुरत हैं.