नई दिल्लीः पंजाब का चुनावी मैदान। एक तरफ ईमानदारी की ढोल पीटने वाली आम आदमी पार्टी मुकाबिल है तो दूसरी तरफ साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं का एक और मोर्चा खड़ा हो गया है। नाम है आवाज-ए-पंजाब। साफ-सुथरी छवि इसलिए कि इस मोर्चे से जिन भी नेताओं के नाम जुड़े हैं। चाहे वह सिद्धू व जालंधर कैंट एमएलए ओलंपियन परगट सिंह हों या फिर विधायक बैंस ब्रदर्स। इन सभी पर आर्थिक भ्रष्टाचार का फिलहाल कोई मामला नहीं है। बैंस ब्रदर्स की व्हिसल ब्लोवर सरीखी छवि है। इंसाफ मंच के बैनर तले भ्रष्टाचार के मामले दोनों भाई उठाते आए हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में पंजाब के सामने ईमानदार बनाम ईमानदार विकल्प खड़ा हो गया है। अब देखना है कि अकाली दल-भाजपा के अलावा कांग्रेस को भी नापसंद करने वाली पंजाब की जनता दिल्ली की टोपियों वाले नेताओं से भरी आम आदमी पार्टी को या फिर पिंड की पगड़ियों वाली आवाज-ए-पंजाब को वरीयता देती है, चुनाव में यह देखना रोचक होगा।
भ्रष्टाचार से घिरी बादल सरकार को एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर से खतरा
पैसा कमाने के पीछे क्या कोई राजनीति क घराना इस हद तक जा सकता कि अपनी ही सरकार में घर की निजी बसें चलवाईं जाएं। मगर पंजाब का बादल घराना ऐसा कर सकता है। सूबे का यह इकलौता घराना है जो अपनी सरकार में खुलेआम निजी बस संचालन का धंधा कर रहा है। तमाम रूटों पर सरकारी बसों का समय बदलकर बादल ग्रुप की बसों को लाभ पहुंचाया जा रहा। संचालन में बड़े घोटाले की शिकायत पर परिवहन विभाग की यूनियन हड़ताल कर चुकी है। किसानों के खेत के लिए कीटनाशक का करोड़ों का घोटाला उजागर हो चुका है, मगर जांच दबा दी गई है। इसके अलावा तमाम आरोप हैं। अकाली दल-भाजपा गठबंधन से पहले कांग्रेस सरकार से भी पंजाब की जनता परेशान हो चुकी है। क्योंकि अकाली दल से कम भ्रष्टाचार कांग्रेस सरकार में नहीं हुए।
आप ने उम्मीद जगाई मगर आपसी फूट ने बिगाड़ा जनता का मूड
कांग्रेस का हाल पंजाब की जनता पहले देख चुकी है, 2012 में बड़ी उम्मीद से अकाली दल को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर चुना तो भाजपा संग गठबंधन से सरकार बनी। मगर यह सरकार जनता की उम्मीदों पर उतनी खरी नहीं उतरी, जितनी की दरकार रही। जिससे जब केजरीवाल ने पंजाब में आम आदमी पार्टी के चुनाव में उतरने की घोषणा की तो जनता के सामने एक विकल्प खुला। मगर, पार्टी में पिछले कुछ समय मचे अंतर्कलह से जनता का झुकाव कम हो रहा। जनता का मानना है कि जब पार्टी के नेता खुद लड़ रहे हैं तो फिर सरकार कैसे चलाएंगे। हालांकि अब भी एक बड़ा धड़ा आम आदमी पार्टी को सपोर्ट कर रहा।
सिद्धू के मोर्चे ने दे दिया जनता के सामने एक और विकल्प
पंजाब के चुनावी मैदान में कांग्रेस, अकाली दल, भाजपा और आप के ही बीच मुकाबला नजर आ रहा था। मगर भाजपा से सिद्धू की नाराजगी के बाद उनकी अगुवाई में लुधियाना के आत्मनगर से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस और उनके भाई लुधियाना दक्षिण विधानसभा से बलविंद सिंह बैंस तथा भारतीय हॉकी कप्तान विधायक परगट सिंह ने चौथा मोर्चा खड़ा करने की घोषणा कर दी है। ऐसे में कांग्रेस व अकाली दल-भाजपा को पसंद न करने वाली पंजाब की जनता अब पिंड की पगड़ियों यानी स्थानीय नेताओं वाली आवाज-ए-पंजाब को चुनेगी या फिर दिल्ली की टोपियों वाली आम आदमी पार्टी को। चुनाव के वक्त यह देखने वाली बात होगी।