नई दिल्लीः पंजाबी भाषा में सुच्चा माने साफ-सुथरा। बहरहाल..बात पंजाब में आप संयोजक सुच्चा सिंह के संदर्भ में करते हैं। जिस शख्स की साफ-सुथरी छवि का हवाला देकर पंजाब में केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का संयोजक बनाया। आज वही सुच्चा सिंह उनके लिए झूठे हो गए हैं। केजरीवाल अपने पास आए एक वीडियो क्लिप के आधार पर सुच्चा को बेईमान ठहराकर इस्तीफा मांग रहे तो सुच्चा सिंह बार-बार दुहाई देकर कह रहे कि आज भी उनका दामन पाक-साफ है। जिंदगी खुली किताब की तरह है। पढ़िए इनसाइड स्टोरी। कैसे आप के पंजाब संयोजक सुच्चा सिंह की साख केजरीवाल की नजरों में अचानक से डगमगाने लगी। कहा जा रहा कि पार्टी की ओर से ही कराए गए डबल स्टिंग में गलत तरीके से चंदा लेने की पुष्टि के बाद अब उनकी चुनाव से पहले विदाई की जा सकती है। समर्थक कह रहे कि 40 साल से पंजाब की सियासत में सक्रिय सुच्चा सिंह पार्टी से निकलते हैं तो भी चुनाव से पहले यह 'आप' के लिए बड़का झटका होगा।
दुर्गेश पाठक से चंदे की लड़ाई महंगी पड़ी
सुच्चा सिंह छोटेपुर को स्टिंग से ठिकाने लगाने के पीछे चंदे की लड़ाई मुख्य वजह मानी जा रही। बताया जा रहा कि पंजाब कि सियासत में सुच्चा सिंह ने 40 साल बिताए हैं तो कोना-कोना परिचित है। आप से लोगों को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। जब केजरीवाल दिल्ली की लड़ाई में उलझे थे तो सुच्चा सिंह ने कई बड़े लोगों को पंजाब में संगठन से जोड़न का काम किया। गांव-गिराव तक संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई। इधर बीच बदले समीकरण के चलते संगठन में सुच्चा को कम तवज्जो मिलने लगा । केजरीवाल के करीबी दुर्गेश पाठक ने पंजाब में डेरा डालकर पूरी कमान अपने हाथ में ले ली। चंदा जुटाना शुरू किया। इस पर सुच्चा सिंह ने भी समानांतर चंदा जुटाना शुरू कर दिया। एक-दो बार दुर्गेश पाठक ने इसे अवैध चंदा बताकर टोका भी तो नहीं माने। सुच्चा बोले कि पंजाब में कोई खाता तो है नहीं, ऐसे में संगठन तो पंजाब में उन्हें ही चलाना है तो चंदा जुटाना ही पड़ेगा। जब दुर्गेश ने केजरीवाल से शिकायत की तो उनके निर्देश पर स्टिंग कराने का फैसला हुआ।
सीएम के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करना केजरीवाल को रास नहीं आया
पंजाब में आप के पास तीन बड़े नेता माने जाते हैं। सुच्चा सिंह को तीसरे नंबर का नेता माना जाता रहा। उनसे ऊपर सांसद भगवंत मान और चर्चित वकील एचएस फुल्का रहे। पार्टी में चर्चा रही कि इन्हीं तीन चेहरों में कोई सीएम पद के लिए दावेदार बनाया जा सकता है। फुल्का वकालत में व्यस्तता के कारण पार्टी को ज्यादा समय बीच में नहीं दे पाए तो एक तरह से साइडलाइन कर दिए गए। दूसरी तरह भगवंत मान के शराब के आदी होने का मामला उछलने से दावेदारी कमजोर हुई। खुद सुच्चा सिंह भी भगवत मान को निपटाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़े। एक आडियो भी उनका हाल में जारी हुआ, जिसमें वे भगवत मान पर हमेशा शराब के नशे में होने की बात कहते सुने गए। यह देख सुच्चा सिंह के समर्थकों ने उन्हें इकलौता मजबूत दावेदार मानकर सीएम दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह बात पार्टी मुखिया केजरीवाल को नागवार गुजरी और उन्होंने पहले तो सुच्चा के पर कतरने का फैसला किया। मगर जब गलत तरीके से चंदा जुटाने का पता चला तो स्टिंग से ठिकाने लगाने की तैयारी किए। ताकि निष्कासन पर कोई सवाल न उठे।
पहली लिस्ट में अपने लोगों का नाम न होने पर शुरू किए थे कैंपेनिंग
चूंकि सुच्चा सिंह पंजाब संयोजक की हैसियत में रहे तो अपने करीबी लोगों को टिकट देने की पार्टी आलाकमान से सिफारिश किए। मगर, जब पहली लिस्ट जारी हुई तो उसमें एक भी करीबी का नाम नहीं रहा। इस पर सुच्चा सिंह टिकट बंटवारे के तौर-तरीके पर न केवल सवाल खड़े किए बल्कि पकड़ वाली सीटों पर अपने आदमियों से समानांतर कैंपेन भी शुरू करा दिया। पंजाब में पार्टी की कैंपेनिंग कर रहे दुर्गेश पाठक ने भी इसकी सूचना केजरीवाल तक पहुंचाई। जिसके बाद केजरीवाल ने सुच्चा सिंह पर एक्शन लेने की तैयारी की।