नई दिल्लीः दिल्ली से निकला अरविंद केजरीवाल का विजय रथ पंजाब में टोपी बनाम पगड़ी यानी स्थानीय और बाहरी की लड़ाई में फंस गया है। पार्टी से जुड़े स्थानीय सरदार नेताओं ने कैंपेनिंग के लिए भेजे गए बाहरी नेताओं यानी टोपी वालों(गैरसरदारों) को वापस बुलाने की मांग जोरशोर से शुरू कर दी है। इसके पीछे दिल्ली आलाकमान से तर्क दे रहे कि बाहरियों को न पंजाबी संस्कृति समझने की तमीज है न ही उचित व्यवहार की। पंजाबी जनता कभी बाहरियों को मुंह नहीं लगाती। टोपी वाले धड़े से यूपी, बिहार पृष्ठिभूमि से ताल्लुक रखने वाले संजय सिंह, दुर्गेश पाठक जुड़े हैं, जो केजरीवाल की ओर से पंजाब में भेजे जाने पर आम आदमी पार्टी की टोपी पहनकर पंजाब में चुनाव कैंपेनिंग का जिम्मा निभा रहे हैं। वहीं पगड़ी की लड़ाई पार्टी के स्थानीय सरदार नेता लड़ रहे। स्टिंग में फंसने पर पंजाब संयोजक पद से हटाए गए सुच्चा सिंह की अगुवाई में पगड़ी की लड़ाई भारी पड़ने लगी तो अब केजरीवाल अपने नेताओं को उनके दर पर मान-मनौव्वल के लिए भेज रहे हैं, जिनको बडे़ बेआबरू होकर पार्टी से वे रुखसत करने चले थे। अहम के चलते सुच्चा सिंह पर पहले कार्रवाई और फिर चुनावी तैयारियों पर पड़ते विपरीत असर से जिस तरह केजरीवाल को बैकफुट पर आना पडा, उसे सियासी जानकार राजनीति क नौसिखिएपन भरा फैसला करार दे रहे।
सुच्चा के आगे क्यों नतमस्तक हो रही 'आप'
कथित स्टिंग में दो लाख रुपये लेने के मामले में पंजाब संयोजक पद से हटाए गए सुच्चा सिंह करीब 42 साल से पंजाब की सियासत में सक्रिय है। पंजाब के शहर से लेकर देहात तक के मानिंद लोगों पर पकड़ है। इससे पहले अकाली दल की सियासत करते रहे। पिछले तीन साल से शहर से लेकर गांव-गांव तक आम आदमी पार्टी का संगठन तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। सुच्चा को हटाने के बाद जिस तरह से उनके पक्ष में सहानुभूति की लहर उमड़ी। उनके पीछे अकाली दल और कांग्रेस ने भी जुगाली शुरू कर दी और सुच्चा के पीछे से आप पर निशाना साधना शुरू कर दिए, उसने केजरीवाल को विचलित कर दिया। जिससे अब वे सुच्चा सिंह का मान मनौव्लल करा रहे। सबसे अहम बात रही कि पंजाब में पार्टी के कुल 12 कोआर्डिनेटर में छह कोआर्डिनेटर सुच्चा सिंह के साथ खड़े हो गए हैं।
सुच्चा सिंह मामले में केजरीवाल ने बनाई कमेटी
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि आम आदमी पार्टी की अहम जिम्मेदारी से सुच्चा सिंह को हटाने पर पार्टी को चुनाव में होता नुकसान देख केजरीवाल ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया। उनके निर्देश पर संजय सिंह मोहाली स्थित सुच्चा सिंह के आवास पर पहुंचे। यहां लंबी बातचीत चली। इस दौरान सुच्चा सिंह ने दुर्गेश पाठक से मिलने से इन्कार कर दिय़ा। बातचीत के दौरान सुच्चा सिंह से कहा गया कि उनके मामले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर मामला रफा-दफा किया जाएग। ताकि सम्मानजनक रूप से सुच्चा को फिर से पार्टी में पूर्व जिम्मेदारी पर स्थापित किया जा सके। इस कमेटी में संजय सिंह के अलावा पार्टी से जुड़े पत्रकार कंवर संधू और एचएस फुलका शामिल हैं। इस बाबत संजय सिंह का कहना है कि सुच्चा सिंह को मनाने का प्रयास जारी है, मगर कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
दिल्ली जैसी फूट पंजाब में नहीं होने देना चाहते केजरीवाल
दरअसल जिस तरह से मौजूदा समय पंजाब में चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी में नेताओं के बीच मनभेद से फूट की स्थिति है, उसी तरह के हाल दिल्ली में पैदा हुए थे। अंतर सिर्फ इतना था कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव में बहुमत की जीत के बाद केजरीवाल से प्रशांत भूषण, योगेंद्र कुमार और प्रो. आनंद कुमार का मनभेद गहराया था। जिससे न तो आप और न ही केजरीवाल की सेहत पर कोई फर्क पड़ा। मगर पंजाब में चुनाव से पहले ही पार्टी नेताओं में सिर फुटव्वल की स्थिति है। टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष के चलते पहले जहां प्रदेश महासचिव हरदीप सिंह किंगरा इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं नाराजगी पर केजरीवाल ने सुच्चा सिंह को भी पार्टी संयोजक पद से हटा दिया। पार्टीलाइन के विपरीत आचरण पर पंजाब के चार में से दो सांसद खालसा और गांधी भी निलंबित चल रहे हैं। ये सभी असंतुष्ट सुच्चा सिंह के साथ मोर्चा खड़ा करने की तैयारी में जुट गए। जिसे देखते हुए केजरीवाल को डैमेज कंट्रोल के लिए मजबूर होना पड़ा।