लखनऊ:श्री नरेन्द्र मोदी जी, प्रधानमंत्री को सम्बोदित अखिल भारतीय समानता मंच का एक पत्र सो शल मीडिया पर वायरल हो रहा है I
इस पत्र में भारत में आरक्षण को समाप्त किये जाने एवं पदोन्नति में आरक्षण हेतु 117वें संबिधान संशोधन बिल को निरस्त किये जाने की मांग करते हुऐ पाठकों से इसे अन्य लोगो को फारवर्ड किये जाने की अपेक्ष की गई है ताकि यह देश की करोड़ो जनता तक पहुच सके।
पत्र में प्रधान मंत्री से अनुरोध किया गया है कि बहुत समय बाद भारत में उनके कुशल नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार विद्यमान है। मेक इन इंडिया , स्वच्छता अभियान व नोट बंदी जैसी कई योजनाओं का पूर्ण समर्थन करते हुये दस वर्षों के लिये लागू की गई आरक्षण व्यवस्था जिसे 10-- 10 वर्ष कर बढ़ाते हुए आज 67 वर्ष पूरे हो गए हैं, को तत्काल समाप्त कर दिया जाये। ।
पत्र में यह भी कहा गया है कि आज तक ऐसे आरक्षण प्राप्त डॉक्टर, इंजीनियर , प्रोफेसर , शिक्षक, कर्मचारी किसी ने नहीं कहा कि अब वह दलित या पिछड़ा नहीं रहा व अब उसे जातिगत आरक्षण की जरुरत नहीं है। जिससे सिद्ध होता है कि आरक्षण का आधार पिछड़ा वर्ग या समूह के बजाय जाति किये जाने से इन 67 सालों में कोई लाभ नहीं हुआ है।
इस जातिगत आरक्षण का लाभ जहां कुछ खास लोग परिवार समेत पीढी दर पीढी लेते जा रहें हैं वहीं वे इसे निम्नतम स्तर वाले अपने ही जरूरतमंदों लोगों तक भी नहीं पहुंचने दे रहे हैं। अन्यथा इन 67 वर्षों में हर आरक्षित वर्ग के व्यक्ति तक इसका लाभ पहुँच चुका होता।ऐसे तबके को वे केवल अपने बार बार लाभ हेतु संख्या या गिनती तक ही सीमित कर दे रहे हैं।
आरक्षण का आधार जाति किये जाने से जहाँ सामान्य वर्ग के तमाम निर्धन व जरूरतमंद युवा बेरोजगार व हतोत्साहित हैं , कर्मचारी कुंठित व उत्साहहीन हो रहे हैं,वहीं समाज में जातिवाद का जहर बड़ी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
इस आधार पर प्रधान मंत्री से अनुरोध किया गया है कि राष्ट्र के समुत्थान व विकास के लिये संविधान में संशोधन करते हुये आरक्षण को समाप्त करने का कष्ट करेंगे। किसी भी जाति - धर्म के असल जरूरतमंद निर्धन व्यक्ति को आरक्षण नहीं बल्कि संरक्षण देना सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए ।
आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त करने से पहले अगर वंचित वर्ग तक इसका ईमानदारी से वास्तव में सरकार को लाभ पहुँचाना चाहते है तो इस आरक्षण को एक परिवार से एक ही व्यक्ति , केवल बिना विशेष योग्यता औऱ कार्यकुशलता वाली समूह ग व घ की नौकरियों में मूल नियुक्ति के समय ही दिया जा सकता है।
आयकर की सीमा में आने वाले व्यक्ति के परिवार को आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिये ताकि राष्ट्र के बहुमूल्य संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित हो सके।पदोन्नति में आरक्षण तो पूर्णत: बंद कराया ही जाना चाहिये जिससे कि योग्यता, कार्यकुशलता व वरिष्ठता का निरादर न हो।