रजत सिंह की मौत पर साथी पंकज त्रिपाठी का खुला खत , रजत...जो गलती तुमने की किसी और को नहीं करने दूंगा..
पेशे से पत्रकार हूं.. इसलिए लिखना रोज़ का काम है.. मगर, आज जो लिख रहा हूं वो लिखते हुए एक अपील करना चाहता हूं कि इसे पूरा पढ़ें.. थोड़ा समय लगेगा, लेकिन हो सकता है कि आपके दस मिनट आपकी, आपके किसी अपने की या किसी की की ज़िंदगी बचा सकें..
आजतक का युवा रिपोर्टर रजत सिंह... करीब 29 साल की उम्र में ही इस होनहार साथी ने बहुत कुछ हासिल कर लिया था.. सबसे ज़्यादा लोगों का प्यार... 24 अक्टूबर की देर रात करीब डेढ़ बजे के आसपास पराठे खाकर एक दोस्त को बाइक पर पीछे बिठाकर बॉटनिकल गार्डन के अंडर पास से निकल रहा था.. जैसा बताया जा रहा है रजत युवा था तो स्पीड भी रही होगी.. अंडरपास से बाहर की तरफ़ निकलते ही सड़क पर खड़े ट्रक में बाइक पीछे से जा टकराई.. रजत का सिर ट्रक के पिछले हिस्से से इतनी ज़ोर से टकराया कि बस उसके आगे का हाल नहीं बता सकता.. सिर पर सबसे ज़्यादा और गहरी चोट आई क्योंकि, हेलमेट नहीं पहना था.. फिर से गौर कीजिए.. हेलमेट नहीं पहना था उसने.. अगर पहना होता तो मैं उसके लाई हुई स्टोरी लिख रहा होता ना कि उसकी.. बहरहाल, इलाज में शर्मनाक तरीके से कुछ देरी हुई जो शायद इस तरह के इमरजेंसी केस में हमारे सरकारी अस्पतालों में हमेशा होती है.. रजत सिंह को हादसे के करीब 4 घंटे बाद ठीक से इलाज मिलना शुरू हुआ.. एम्स ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर रहा.. करीब 40 घंटे तक ज़िंदगी से लड़ता रहा.. मां, बाबूजी, दोनों भाई, दोस्त, सहयोगी, जान-पहचान वाले और रिश्तेदार.. सब दुआएं करते रहे.. मगर, रजत सिंह वेंटिलेटर से सलामत नहीं आया.. डॉक्टर्स ने कहा... HE IS NO MORE… WE ARE SORRY… ये सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं थे बल्कि ऐसा पैग़ाम था जिसे सुनने के लिए दिल मज़बूत करने की लाख कोशिशें नाकाम हो गईं.. रजत की ख़ामोशी ने सबको बहुत रुलाया.. बूढ़े बाबूजी की तरफ़ देखने की हिम्मत भी किसी में नहीं थी.. किसी में नहीं.. बुज़ुर्ग पिता की अंतिम यात्रा में बेटों का फूल चढ़ाना और पिता के हाथों से बेटे पर फूल चढ़ाना.. इन दोनों रस्मों में जो फ़र्क है.. उसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है.. रजत को मैंने या मेरे और उसके तमाम साथियों ने कभी तनाव में नहीं देखा था.. रोते हुए तो बिल्कुल नहीं.. मगर, आज वो ख़ुद ख़ामोश है और हम सबको बहुत रुला रहा है.. सोशल मीडिया की ऑक्सीजन से टीवी जर्नलिज़्म की दुनिया जीने वाले नए पत्रकारों के हमउम्र होकर भी उसकी सोच के बारे में आपको बताता हूं..
29 साल के इस युवा के दिल में समाज के प्रति संवेदनाओं को जानेंगे तो आंखों में आंसू भले ना आएं.. दिल में जज़्बा ज़रूर जाग जाएगा..
अरावली के आंसू- दिल्ली के पास गुड़गांव में अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन पर ऐसी स्टोरी जिसे करने से पहले कोई भी युवा टीवी जर्नलिस्ट सौ बार सोचेगा.. खनन माफ़ियाओं के हमले का डरा.. रेगिस्तान जैसा इलाका.. और फिल्म सिटी से करीब सत्तर किलोमीटर दूर.. बियाबान जंगल में जहां दिन में भी अंधेरा रहता है.. उन पहाड़ियों की गहराइयों में उतरकर रजत सिंह को जैसा बताया था वो वैसा ही शूट करके लाया.. बताया गया कि आजतक को कभी पर्यावरण पर रिपोर्टिंग के लिए RED INK अवॉर्ड नहीं मिला था.. 2015 में वो अवॉर्ड रजत सिंह को मिला.. शायद उसकी उम्र के किसी रिपोर्टर को पर्यावरण की रिपोर्टिंग के लिए नहीं मिला होगा..
ये तो वो स्टोरी थी, जिसे अवॉर्ड मिल गया.. मगर, उसके लिए तो बेज़ुबान क़ुदरत का हर दर्द संवदेनशील सच्चाई था.. इसीलिए, दिल्ली की दम तोड़ती यमुना, तरक्की की ख़ातिर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, दिल्ली की राज्य पक्षी गौरैया की ख़ामोश होती आवाज़ (घटती संख्या).. सब ऑफ बीट स्टोरीज़ करके लाया.. ब्रेकिंग न्यूज़ और मसालेदार ख़बरों की आग में इस तरह की सच्चाइयां अक्सर झुलसकर दम तोड़ देती हैं.. मगर, रजत सिंह का आत्मविश्वास देखिए... वो कहता था.. ‘हम लाए हैं और ये ज़रूर चलेगी’.. सच कहता था वो... इस तरह की जितनी भी समाज की सच्चाइयां वो लाया वो सब दुनिया ने आजतक पर देखीं..
और हां.. एक सबसे ज़रूरी स्टोरी...यमुना एक्सप्रेस वे पर मौत की रफ्तार (ओवरस्पीडिंग और लापरवाही से गाड़ी चलाना).. ये वो स्टोरी थी, जो मुझे अब शायद कभी नहीं भूलेगी.. ओवरस्पीडिंग और लापरवाही से गाड़ी चलाना.. क्योंकि, रजत भूल गया.. जिस कहानी को कैमरे में कैद करने के लिए वो जिया.. उसी कहानी से सबक नहीं लिया.. रफ्तार धीमी नहीं की.. गाड़ी चलाते समय लापरवाही की.. बाइक पर बैठा और हेलमेट नहीं लगाया.. बस इसके बाद ना कहने के लिए कुछ बचता है और ना सुनने के लिए.. सुनेगा कौन..? जिसे सुनना था वो तो चला गया..!!!! मगर, हां.. आप चाहें तो ये संकल्प ले सकते हैं कि अब सड़क पर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करेंगे.. क्योंकि, हादसे सिर्फ़ एक ज़िंदगी नहीं छीनते... बल्कि पूरे परिवार, दोस्तों और प्यार करने वालों का सबकुछ छीन लेते हैं..!!! मैंने संकल्प लिया है कि कभी ओवरस्पीडिंग नहीं करूंगा.. और बिना हेलमेट वाले बाइकर्स से गुज़ारिश करूंगा कि वो हेलमेट ज़रूर पहनें.. क्योंकि, जिस तरह हमने रजत को खोया है... सड़कों पर हम इस समाज के और रजत नहीं खोने देना चाहते..
रजत सिंह
WE ARE PROUD OF YOU
N LOVE A LOT
RIP