रांची : कोई जंगल के नाम पर स्टील कंपनी से पैसा खा गया. किसी ने आदिवासियों की ज़मीन लुटवा दी कोई मधुकोड़ा बनकर पूरा का पूरा बजट ही निगल गया. एक के बाद एक बनाए गए भ्रष्टाचार के रिकॉर्डों ने जहां झारखंड को बदहाल राज्यों की गिनती में डाल दिया वहीं टाटा स्टील के मजदूर से नेता बने रघुवर दास राज्य में अमूलचूल बदलाव लाने की दिशा में पहल कर चुके हैं.
ढ़के की चौट पर अपनी संम्पत्ति की जांच CBI से कराने को तैयार
ग़ौरतलब है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या फिर मिलीजुली सरकारें - दोनों हाथों से लूट खसौट के खुले खेल में लगाम कसनी शुरु हो चुकी है. सूबे में जिस मधु कोड़ा के करोड़ो रुपए के घोटालों की खबरों को लेकर सरकार सुर्खियों में थी आज उस प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि वे अपनी संम्पत्ति की जांच CBI से कराने को तैयार है. रघुवर दास घूम-घूम कर कह रहे हैं कि वो हेमंत सोरन हो या सौरभ नारायण सिंह डील कराने वाले इन नेताओं की दुकानदारी बंद करा कर ही दम लेंगे.
कभी टाटा की फैक्टरी में मजदूरी की नौकरी करने वाले रघुवर दास का कहना है कि झारखंड राज्य में दो लाख से अधिक भूमिहीन आदिवासियों को ज़मीन दी जायेगी. रघुवर दास का यह भी कहना है कि जिन्होंने आदिवासियों के नाम से राजनीति की उन्होने ही आदिवासियों की ज़मीन लूटी हैं.
अडानी और जिंदल को जमीन देने लिए काफी दबाव था रघुवर दास पर
'इंडिया संवाद' को मुख्यमंत्री रघुवर दास के क़रीबी ने बताया कि अडानी और जिंदल जैसे बिजली घरानों का सरकारी ज़मीन लेने का काफ़ी दबाव था, लेकिन दास ने उनकी एक न सुनी और नीतिगत फ़ैसला लेते हुए यह आदेश जारी किया कि जिसको ज़मीन लेनी है वह बाज़ार की दर से खरीदे. दरअसल कोड़ा और सोरेन के टाइम में दिल्ली के दलाल रांची के दरबार में हावी थे, चाहे कोई ज़मीन की डील हो या कुछ भी काम हो अक्सर अधिकारियों को भी पता नहीं लगता था कि ठेका किसे मिलने वाला है. ज्यादातर ठेके मुख्यमंत्री के दफ़्तर में ही सेट कर लिए जाते थे.
IT की मदद से पंचायतों को जोड़ा जा रहा है
रघुवर दास ने सरकार के सभी ठेकों को पारदर्शी बनाने के लिए IT की मदद ली. IT की मदद से शासन और जनता की दूरी को कम किया जाएगा. सभी पंचायतों को ई-गांव से जोड़ा जाएगा. अभी तक झारखंड सरकार ने 1400 पंचायतों को जोड़ा हैं. 2017 तक सभी पंचायतों में ई-गांव शुरू करने का लक्ष्य है. ज्ञान आधारित युग में IT का महत्व बढ़ गया है. रघुवर दास कि सरकार इस दिशा में काफी गंभीरता से काम कर रही है. निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई नीति बनायी जा रहीं हैं.