नई दिल्ली : हरियाणा के जाट आंदोलन की आग फिलहाल बुझती नही दिख रही है बल्कि और भड़कने की आशंका है। 19 फ़रवरी को हरियाणा के जाट नेताओं ने 'बलिदान दिवस' मनाने का फैसला किया है। पिछली बार जाट आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की माने तो इस बार जाट नेताओं ने आंदोलन को नई रणनीति के साथ चलाने का फैसला किया है। इस बार के जाट आंदोलन में महिलाओं का दबदबा रहेगा। नीले सलवार, कमीज और चेहरे को दुपट्टे से ढकी हुई जाट महिला आंदोलनकारी इस धरने को 'जाट न्याय धरना' नाम दे रही हैं।
वह लाउडस्पीकर से लोगों को बता रही हैं कि हरियाणा सरकार ने झूठे वादे किये। वह कहती हैं कि ''जाट की छाती इतनी चौड़ी है, वह देश की सुरक्षा के लिए गोली भी खा सकता है'' इसलिए वह समुदाय के अधिकारों के लिए बलिदान दे सकते हैं। वह अपने खेतों के लिए बलिदान दे सकते हैं''।
एक महिला उदाहरण के तौर पर कहती है कि ''नारनौल के सतीश दहिया ने 14 फ़रवरी को आतंकवादियों से लड़ते हुए देश के लिए अपना बलिदान दे दिया। पूरे हरियाणा में बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्रित हुई और वह इस धरने में बढचढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। पिछले साल जाट आंदोलन में मारे गए 30 लोगों को लेकर वह बलिदान दिवस मना रहे हैं।