नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत करने के साथ ही नोटबंदी का भी समर्थन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है। प्रणब ने चुनाव आयोग को संदेश दिया कि वह राजनीति क दलों के साथ विचार विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाये।
विवेकसम्मत मन की जरूरत
गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने जोर दिया कि देश की ताकत इसकी बहुलतावाद और विविधता में निहित है और भारत में पारंपरिक रूप से तर्को पर आधारित भारतीयता का जोर रहा है, न कि असहिष्णु भारतीयता का। हमारे देश में सदियों से विविध विचार, दर्शन एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं। लोकतंत्र के फलने फूलने के लिए बुद्धिमतापूर्ण और विवेकसम्मत मन की जरूरत है। प्रणब मुखर्जी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित किया, लेकिन संसद और राज्य विधानसभाओं में व्यवधान के प्रति सचेत भी किया।
कमियां को समझकर सुधार की जरुरत
राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारा मुखर लोकतंत्र है और इसलिए हमें लोकतंत्र से कम किसी और की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इस बात को स्वीकार करने का यह सही समय है कि व्यवस्था सटीक नहीं है और जो कमियां हैं, उन्हें पहचान कर उसमें सुधार करना होगा। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘शिथिलता पर सवाल उठना चाहिए। विश्वास की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाना चाहिए। समय आ गया है कि चुनाव सुधार पर रचनात्मक चर्चा हो। आजादी के बाद के शुरुआती दशकों के उस चलन की ओर लौटने का समय आ गया है. जब लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव साथ साथ होते थे।
चुनाव आयोग को आगे बढ़ाना है
उन्होंने कहा, ‘इस कार्य को चुनाव आयोग को आगे बढ़ाना है जो राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करके आगे बढ़े।’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की गहराई और प्रभाव नियमित रूप से पंचायती राज व्यवस्था के चुनाव से स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हमारी विधायिका में व्यवधान के कारण सत्र का वह समय बर्बाद होता है जब चर्चा होनी चाहिए और महत्वपूर्ण मुद्दों पर विधान बनने चाहिए। चर्चा, परिचर्चा और निर्णय करने के मार्ग पर ध्यान देने के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने चाहिए। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘कालेधन को रोकने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए नोटबंदी की पहल से आर्थिक गतिविधियों में अस्थायी गिरावट आ सकती है। पर अधिक से अधिक बेनगदी लेनदेन होने से अर्थव्यवस्था की पारदर्शिता बेहतर होगी।’
मुद्रास्फीति की दर राहत स्तर पर
राष्ट्रपति ने कहा, ‘2016-17 के प्रथमार्ध में अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछले वर्ष के बराबर थी जो सतत पटरी पर लौटने की स्थिति प्रदर्शित करती है। हम राजकोषीय सुदृढीकरण के मार्ग पर दृढ़ता से बढ़ रहे हैं और मुद्रास्फीति की दर राहत पहुंचाने वाले स्तर पर है।’ उन्होंने कहा कि जो चीजें हमें यहां तक लेकर आई है, वे देश को आगे ले जायेंगी लेकिन देश को बदलाव की बयार को लेकर तेजी से व्यवस्थित होना होगा।
ग्रामीणों को देनी होगी बेहतर सुविधाएं
राष्ट्रपति ने कहा कि भयंकर रूप से प्रतिस्पर्धी विश्व में, हमें अपनी जनता के साथ किए गए वादे पूरा करने के लिए पहले से अधिक परिश्रम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें और अधिक परिश्रम करना होगा क्योंकि गरीबी से हमारी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था को अभी भी गरीबी पर तेज प्रहार करने के लिए दीर्घकाल में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी। हमारे देशवासियों का पांचवां हिस्सा अभी तक गरीबी रेखा से नीचे बना हुआ है। गांधीजी का प्रत्येक आंख से हर एक आंसू पोंछने का मिशन अभी भी अधूरा है। मुखर्जी ने कहा कि हमें अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए और प्रकृति के उतार-चढ़ाव के प्रति कृषि क्षेत्र को लचीला बनाने के लिए और अधिक परिश्रम करना है। हमें जीवन की श्रेष्ठ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, गांवों के हमारे लोगों को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करने होंगे।
रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए करनी होगी मेहनत
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें विश्वस्तरीय विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के सृजन द्वारा युवाओं को और अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए अधिक परिश्रम करना है। घरेलू उद्योग की स्पर्धात्मकता में गुणवत्ता, उत्पादकता और दक्षता पर ध्यान देकर सुधार लाना होगा। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि हमें अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक परिश्रम करना है। महिलाओं को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने में सक्षम बनना चाहिए। बच्चों को पूरी तरह से अपने बचपन का आनंद उठाने में सक्षम होना चाहिए। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें उपभोग के उन तरीकों को बदलने के लिए और अधिक परिश्रम करना है, जिनसे पर्यावरणीय और पारिस्थिकीय प्रदूषण हुआ है। हमें बाढ़, भूस्खलन और सूखे के रूप में, प्रकोप को रोकने के लिए प्रकृति को शांत करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें और अधिक परिश्रम करना होगा क्योंकि निहित स्वार्थो द्वारा अभी भी हमारी बहुलवादी संस्कृति और सहिष्णुता की परीक्षा ली जा रही है। ऐसी स्थितियों से निपटने में तर्क और संयम हमारे मार्गदर्शक होने चाहिए।
स्वतंत्रता के लिए चुकाये गए मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इससे उनके लिए कभी-कभी स्वतंत्रता को हल्के में लेना असाधारण पुरुषों और महिलाओं द्वारा इस स्वतंत्रता के लिए चुकाये गए मूल्यों को भूल जाना और स्वतंत्रता के पेड़ की निरंतर देखभाल और पोषण की आवश्यकता को विस्मृत कर देना आसान हो जाता है।उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ने हम सब को अधिकार प्रदान किए हैं। परंतु इन अधिकारों के साथ-साथ दायित्व भी आते हैं, जिन्हें निभाना पड़ता है। गांधीजी ने कहा, आजादी के सर्वोच्च स्तर के साथ कठोर अनुशासन और विनम्रता आती है। अनुशासन और विनम्रता के साथ आने वाली आजादी को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, अनियंत्रित स्वच्छंदता अस5यता की निशानी है, जो अपने और दूसरों के लिए समान रूप से हानिकारक है।
गरीबी अनुपात में दो तिहाई की गिरावट
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे संस्थापकों द्वारा निर्मित लोकतंत्र की मजबूत संस्थाओं को यह श्रेय जाता है कि पिछले साढ़े छह दशकों से भारतीय लोकतंत्र अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में स्थिरता का मरूद्यान रहा है। उन्होंने कहा कि 1951 में 36 करोड़ की आबादी की तुलना में, अब हम 1.3 अरब आबादी वाले एक मजबूत राष्ट्र हैं। उसके बावजूद, हमारी प्रति व्यक्ति आय में दस गुना वृद्धि हुई है, गरीबी अनुपात में दो तिहाई की गिरावट आई है, औसत जीवन प्रत्याशा दुगुनी से अधिक हो गई है, और साक्षरता दर में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
देश ने विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में पकड़ी गति
राष्ट्रपति ने कहा, ‘आज हम विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था हैं। हम वै ज्ञान िक और तकनीकी जनशक्ति के दूसरे सबसे बड़े भंडार, तीसरी सबसे विशाल सेना, परमाणु क्लब के छठे सदस्य, अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल छठे सदस्य और दसवीं सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति हैं। एक निवल खाद्यान्न आयातक देश से भारत अब खाद्य वस्तुओं का अग्रणी निर्यातक बन गया है। अब तक की यात्रा घटनाओं से भरपूर, कभी-कभी कष्टप्रद, परंतु अधिकांश समय आनंददायक रही है।