"नवगीत" रुक जाओ तुम जहाँ खड़े हो, बढ़ा न देना उठे कदम नप जाएगी सारी धरती कदम कदम यदि उठे कदम युद्ध तीसरा कैसा होगा याद करो श्री शिव त्रि नयन मत दो आमंत्रण बीरों को मत ललकारों उठें कदम.....रुक जाओ तुम जहाँ खड़े हो कदम उठाया था रावण ने जब अपने ही हठ धर्मी का याद करो वह