नई दिल्लीः पंजाब में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान सिंह पार्टी के प्रति कितने समर्पित हैं, इसका नमूना रविवार को देखने को मिला। जब जनाब को तीन रैलियों में पहुंचना था, हजारों कार्यकर्ता वाहनों के साथ पूरे दिन इंतजार करते रहे कि सांसद जी अब आएंगे तब आएंगे... मगर वे घर से बाहर निकले ही नहीं। कार्यकर्ताओं ने फोन किया तो मोबाइल बंद कर दिया। पार्टी पदाधिकारियों ने केजरीवाल को शिकायत भेजते हुए कह दिया है कि पार्टी के बड़े नेताओं का यही रवैया रहा तो चुनाव में पार्टी की लुटिया डूबने से कोई रोक नहीं सकता। इस समय वैसे भी पार्टी का हाल-बेहाल चल रहा। कारण कि पार्टी संयोजक पद पर विवादों के कारण सुच्चा सिंह को हटा दिया गया है तो दो सांसद खालसा और गांधी पहले से निंलंबित चल रहे हैं। वहीं एक और बडे़ नेता एचएस फुलका भी साइडलाइन चल रहे हैं।
ऐसे में स्थानीय बड़े नेता के रूप में भगवंत मान का ही चेहरा बचा है, मगर उनकी लापरवाही से पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है।
अपने नेता ऐसा करेंगे तो कैसे जीत पाएगी 'आप'
पंजाब में लोकसभा चुनाव में जब चार सीटें मिलीं तो केजरीवाल खुशी से फूले नहीं समाए। उन्हें लगा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी कांग्रेस और भाजपा-अकाली दल गठबंधन का विकल्प हो सकती है। इसी हसरत के साथ केजरीवाल पंजाब के चुनावी मैदान में कूद पड़े। मगर जिन सेनानायकों पर उन्होंने भरोसा जताया वे उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहे। पार्टी से बगावत करने के कारण चार में से दो सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इस समय भगवंत मान ही केजरीवाल के करीब रहे। मगर कभी शराब पीने के आरोप लगे तो कभी संसद की सुरक्षा तार करने वाला वीडियो बनाने का मामला। अब जाकर रैलियों में भी न जाना। इससे केजरीवाल के सामने दिक्कत बढ़ गई है।
कहां करनी थी भगवंत मान को रैली
आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान को भटिंडा के संगत मंडी, मुक्तसर साहिब और कोटकपुरा में कुल तीन रैलियां करनीं थीं। लोग दिन भर भगवंत मान का रैलीस्थल पर आने पर का इंतजार करते मिले, मगर सांसद मान नहीं आए। जिससे कार्यकर्ताओं को निराशा का सामना करना पड़ा। इज्जत खतरे में पड़ी तो आप नेता भगवंत मान के न पहुंचने पर आम जन के समक्ष तर-तरह के बहाने करते मिले। आखिरकार लोग इंतजार से थककर घर चले गए।
मीडियाकर्मियों और अकाली वर्कर्स के आक्रोश से डर गए भगवंत
बस्सी पठाना में एक रैली के दौरान भगवंत मान ने पत्रकारों के साथ बदसलूकी की थी। जिसका खामियाजा उन्हें मुकदमे के रूप में भुगतना पड़ा। पत्रकारों ने उनसे देरी से रैली में पहुंचने का कारण पूछा था तो उन्होंने समर्थकों से पत्रकारों को भगाने का हुक्म सुना दिया था। कहा जा रहा है कि भगवंत मान को आशंका थी कि रैलियों में जाने पर फिर पत्रकार उन्हें घेरेंगे। उनके सवालों से बचना मुश्किल होगा। दूसरी तरफ भगवंत मान ने राज्य सरकार की ओर से गरीबों के लिए नीली कार्ड योजना की खिल्ली उड़ाते हुए भिखारियों की योजना कह दिया था। जिससे अकाली दल इसे गरीबों के अपमान का मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है।