मनुष्य के कथनी और करनी में अन्तर नही होना चाहिए
कब तक तुम मुंह मोडोगे, आखिर सच्चाई से ; कब तक मुंह छुपाओगे ,सच्चाई जानने वालों से।झूठे ख्वाबों के ढेर पर बैठ,कब तक खुशफहमी पालेंगे;नकली खुशियों के ये ढेर,यूं ही जल्दी से बिखर जाएंगे।वास्तविकता आधार पर टिकी है,गलतफहमी ना पालों;बनावटी बातों का आधार नहीं, कोई खुशफहमी ना पालों
जिदंगी जैसी है यारो; खूबसूरत है,है ख़ुशी की भी ग़मों की भी जरुरत है,ना चला है जोड़ जीवन में किसी भी वीर का,वक़्त के साम्राज्य में किसकी हुकूमत है ?बचपना, क्या बुढ़ापन,कैसी जवानी है,तेरी-मेरी, यार सबकी इक कहानी है,मुस्कुराहट खिल रही थी जिन लबों पे कल तलक ,आज उन आँखों में भी खामोश पानी है,था कही जिन आँखों