कब तक तुम मुंह मोडोगे, आखिर सच्चाई से ;
कब तक मुंह छुपाओगे ,सच्चाई जानने वालों से।
झूठे ख्वाबों के ढेर पर बैठ,कब तक खुशफहमी पालेंगे;
नकली खुशियों के ये ढेर,यूं ही जल्दी से बिखर जाएंगे।
वास्तविकता आधार पर टिकी है,गलतफहमी ना पालों;
बनावटी बातों का आधार नहीं, कोई खुशफहमी ना पालों।
झूठ के सहारे वैतरणी पार करने वाले,नौका डूब जाएगी;
सच्चाई का भार सम्हाले ये नौका,किनारे लग जाएगी।
सच का सामना करने से ना डर,सच्चाई छुप नहीं सकती;
झूठ पकड़ा जाए अगर,दुनिया उसे माफ नहीं कर सकती।
सच्चाई अमिट स्याही से लिखी है,झूठ की कोई स्याही नहीं;
झूठ के पुलिंदे के नीचे छिपाए गए ,सच को कोई छुपा सकता नहीं।