नई दिल्ली : अपनी दशकों की राजनीति में मुलायम सिंह यादव इतने बेबस कभी नही दिखे जितने अब परिवार में मचे घमासान को लेकर दिख रहे हैं। मुलायम सिंह यादव अब उस दौर में पहुँच चुके हैं जब उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुनना है। कभी सिर्फ मुलायम के इशारो पर चलने वाली समाजवादी पार्टी में अब अचानक इतने उत्तराधिकारी निकल आये हैं कि मुलायम फैसला नही कर पा रहे है कि किसकी बात माने और किसकी नही। वैसे मुलायम सिंह की सबसे बड़ी परेशानी अपने दोनों बेटों को लेकर है। एक तरफ पहली पत्नी मालती देवी के बेटे अखिलेश यादव हैं और दूसरी तरफ मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता अपने बेटे प्रतीक को उसका हक़ दिलाना चाहती हैं।
जिस तरह उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव की लोकप्रियता लगातार बढती जा रही है उसने अखिलेश को यूपी में मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित कर लिया है। इसका सीधा असर मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक के राजनीतिक भविष्य को लेकर जुड़ा हुआ है। भारतीय राजनीति में मुलायम सिंह के अलावा तमिलनाडु के करूणानिधि ऐसे नेता है जिनकी पारिवारिक स्थिति मुलायम सिंह से मिलती है। दोनों के पास विशाल सम्पति है और बड़ा परिवार भी।
पहली पत्नी मालती नही होने दिया कभी मुलायम के परिवार में विघटन
मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी बेहद प्रभावशाली और सांस्कारिक महिला थी, उन्हें किसी भी हाल में मुलायम सिंह द्वारा दूसरी शादी किये जाने की खबर से से बड़ा झटका लगता। शायद यह भी कारण रहा कि मुलायम सिंह यादव, साधना गुप्ता से शादी का खुलासा समय से नही कर पाए। मालती देवी का ही असर था कि मुलायम सिंह के परिवार में लंबे समय तक एकजुटता बनी रही। अखिलेश यादव का जन्म 1973 में हुआ। उस दौर में मुलायम सिंह इंदिरा गाँधी और एंटी कांग्रेस मूवमेंट में लगे थे। 1995 में इंदिरा गाँधी के आपातकाल में जब मुलायम आंदोलनों में व्यस्त थे तब मालती देवी ने अखिलेश की कोई भी जरूरत पूरी करने में कसर नही की।
80 के दशक साधना आयी मुलायम की ज़िन्दगी में
साधना गुप्ता मुलायम सिंह की ज़िन्दगी में 80 के दशक में आयी वह समाजवादी पार्टी की एक छोटी पदाधिकारी थी। साधना गुप्ता सुन्दर थी और मुलायम सिंह साधना के नैन-नक्श में ऐसे फंसे कि उन्होंने साधना को प्रपोज़ कर लिया। जल्द ही साधना ने इसे स्वीकार भी कर लिया। सार्वजानिक रूप से ये बातें कभी सामने नही आयी। 1988 से पहले कोई नही जनता था कि मुलायम सिंह का एक और पुत्र है। मुलायम सिंह ने हमेशा इस रिश्ते को छिपा कर रखा।
अमर सिंह करीब लाये साधना और मुलायम को
सबसे पहले इसका पता मुलायम के परिवार को चला और उसके बाद पूरे देश को। अभी यह आधिकारिक नही था, मुलायम सिंह साधना गुप्ता को पब्लिकली एक्सेप्ट करने को तैयार नही थे। उस वक़्त अमर सिंह साधना के संपर्क में आये जो मुलायम सिंह के बेहद करीबियों में से एक थे। मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी का साल 2003 में निधन हो गया, जिसके बाद मुलायम सिंह बेहद अकेले पड़ गए। उस वक़्त अमर सिंह ही साधना गुप्ता को मुलायम सिंह के करीब लाये। साल 2007 में मुलायम सिंह यादव ने आय से अधिक सम्पति के मामले में सीबीआई की जाँच से बचने के लिए यह स्वीकार किया कि साधना गुप्ता उनकी दूसरी पत्नी हैं और उनका एक पुत्र भी है।
अब साधना गुप्ता अपनी ताकत दिखा रही हैं, वह चाहती थी कि मुलायम सिंह के लोकसभा सीट आजमगढ़ से प्रतीक चुनाव लड़े मुलायम के अगले उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें देखा जाए। प्रतीक ने इससे इंकार दिया जिसके बाद साधना ने प्रतीक की पत्नी अपर्णा को चुनाव लड़ने के लिए कहा और वह तैयार भी थी। यह रोचक होता जा रहा है कि अब कैसे साधना गुप्ता के साम्राज्य को मैनेज करने में लगी हुई हैं।