जब मेरे शब्द मन के भावों से सन कर काव्य रूप में कागज पर उतर जाएं तो काव्य मंजरी की रचना होती है।
किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं
"मेरा बाप ही मेरा दुश्मन हो गया मेरे बाप ने मेरे साथ जो किया नहीं जानती हूं मेरी जगह कोई और होती तो स्वयं आत्महत्या करने की अथवा अपने बाप का गला दबा देती।" इतना कहकर रमला बुरी तरह रोने लगी।
महाभारत के अमर पात्र अभिमन्यु के शौर्य को समर्पित एक कविताओं
मिलती नजरों का मुस्कुराना झुकती नजरों का शरमाना😊 संग संग हर लम्हा खिलखिलाना वक्त बेवक्त एक दूजे में डूब जाना
रचनाएं बहुत सारी लिखी गई हैं। आगे भी लिखी जाएंगी। कुछ छंद बद्ध,कुछ मुक्त छंद,तुकांत कविता,अतुकान्त कविता अलग अलग छंदों, मुक्त छंद की रचनाओं का प्रकाशन किया जाएगा।
ऐ पृथ्वी के मानव तुम , तेरी आवाहन मैं करती हूँ | सदा हमें सम्भाल कर रखना , तुम्हें हमेशा कहती हूँ | मैं स्वस्थ्य तो तुम स्वस्थ्य हो , तुमसे स्वस्थ्य पुर्ण संसार होगा | कर मदद सदा दुखियों का , प्रसन्न मन शांति तुम्हारा उपहार होगा | जल,वायु,आकाश,अग्नि
उम्मीद एक ऐसी कहानी है जिससेे आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे |
बात उन दिनों की है जब लक्ष्मण सिंह पैदावार ले रहे थे , उनके पास उनके सबसे बड़े साले के उससे छोटे भाई का फोन आया, फोन उठाया ,उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, वेसे ये बात उनकी पत्नी गंगा देवी को पता नहीं थीं। वेसे बात ये थीं कि उन्होंने बताया था कि उनकी भ
राजकुमार एक बिगडैल रईस जादा है। रैश ड्राइविंग उसका शगल है। जिसके कारण वह कई लोगों को घायल कर चुका है। पर वह अपने पैसों के बल पर कानूनी कार्यवाही से बचा हुआ है। एक रात जब वह क्लब से नस्जे की हालात पर घर आ रहा था की उसकी कार से एक रिक्शा वाले को चोट
इश्क ही इबादत इश्क ही खुदा है, इश्क के परिंदे हम हमारी बात ही जुदा है। प्यार मोहब्बत की कविताएं और शायरी पढ़ने की अगर आप शौकीन हैं तो यह किताब आपके लिए बिल्कुल सही हैं।
मैं जो कल था मैं आज भी हूं मैं आसमान में टिमटिमाते सितारे जमीन में खिलता गुलाब भी हूं जिन्दगी को तलाशता एक कारवां भी हूं पहचान नहीं है मेरा फिर भी एक अरमान हूं मैं झरने में बहता पानी हूं समन्दर से मिलने का एक सपना हूं जो कभी नहीं बदलता एक हकीकत भ
समय का चक्र जिस पर चलता है उसका बर्बादी निश्चित है !ऐसे भी कहा गया है "-समय का मारा क्या करे बेचारा ,बुद्धि छीन हो जाता है, कोई भी सहारा न कर पता है !एक कहानी सत राजा हरिश्चंद्र का है -जिन्हे राजा होते हुए भी एक दिन ऐसा हुआ की डोम घर बिकना पड़ा था !
वैसे देखे तो सभी के जीवन में एक कहानी होता है किन्तु सभी असहज महसूस करते हैं उन्हें और को बताने में । मै भी उन्हीं में से एक हूं , किन्तु हां ये बात और है कि मै अपनी कहानी आपको आज बताने का मन बना लिया हूं । मै इस क्षेत्र में बिल्कुल नया हूं तो मैं अप
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h
रायपुर के सेठ रतन लाल जी के तीन बेटे थे। जिसमे से बड़े बेटे नीलम उनके ही सोने चांदी के व्यापार में अपना हाथ बंटाने लग गये। मंझले बेते पुखराज बिल्डर बनने की राह में अग्रसर हो गया। वहीं उनका तीसरा सुपुत्र अध्यापन व लेखन के क्षेत्र में आगे बढने की
एक अध्यापक के पास बेटो की कमी नहीं होती