चार टपोरी गुंडे लोगो को परेशान करते रहते हैं एक बार एक बुजुर्ग से टकरा जाते हैं!!
ऐ पृथ्वी के मानव तुम , तेरी आवाहन मैं करती हूँ | सदा हमें सम्भाल कर रखना , तुम्हें हमेशा कहती हूँ | मैं स्वस्थ्य तो तुम स्वस्थ्य हो , तुमसे स्वस्थ्य पुर्ण संसार होगा | कर मदद सदा दुखियों का , प्रसन्न मन शांति तुम्हारा उपहार होगा | जल,वायु,आकाश,अग्नि
स्वतंत्रता दिवस हमारे देश मे 15 अगस्त 1947 से मनाया जाता है।इसी दिन हम स्वतन्त्र हुए थे। या ये कहें की हमें पूर्ण आजादी मिली थी। लेकिन क्या वास्तव मे हम स्वतन्त्र है...? देश की दशा, देश मे बढ़ रही गरीबी, बेरोजगार युवा क्या इन्हें देश से प्यार नहीं है।
रक्षाबंधन का त्यौहार सावन माह मे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।ये त्यौहार हमारे देश मे युगो युगो से मनाया जा रहा है । ये त्यौहार भाई-बहन के प्यार और उनके अटूट रिश्ते को दिखाता है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी के प्रेमभरा बंधन बा
यह दीपावली में सुरन की सब्जी क्यों बनती है उस पर आधारित हैं
हम भारत के जिस समाज में रहते है उस समाज में अनेकों जाती और धर्म के लोग भी रहते है. और इन धर्मों के अलग अलग रीती रीवाज भी होते है कुछ रीती रीवाज़ कुरीतियों के साए में आज भी जीवित है मेरा इस कहानी के माध्यम सें किसी एक धर्म विशेष को टारगेट करना नहीं है.
सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी (कविता) उनकी प्रसिद्ध कविता है। वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपन
शीर्षक-सोच बदलना है ! रचनाकार- क्रान्तिराज ( पटना,बिहार) यह कहानी की पात्र ,घटनाए सभी कालपनिक है किसी व्यक्ति विशेष से मिलता जुलता नही है ,नही नाम वस्
संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढ़ंग की मनोहर तसवीरें, जो दीवारों से लटक रहीं है, इस समय रंगीन वस्त्र धारण करके और भी
यह कहानी हमारे आस पास के लोगों के और बदलते हुए समय से आयी लोगों के जीवन मे खालीपन,अकेलापन,अनिश्चितताएं और कठिनाइयो का सामना करने मे अक्षमता के ऊपर है आप इस कहानी को पढ़े और अपना प्यार दें।
साधु की धुनी💎"पवित्र विचार" 🌍🔥🔥🔥🌺💥💎💥💥💦🌹 पावन रखियो हे परमेश्वर (मेंरे) मन चित वाणी विचार । पवित्र संत की धुणी मे ज्यो फरके नही कोई विकार 🔥🙏💎🌍🌱🔥😍🏵💦💥💎 हे परम पिता परमेश्वर आप सदा मुज पर दयाभाव र
भीष्म साहनी की कहानियों में बच्चे मनोवैज्ञानिक तौर पर अपने परिवेश व समाज की वास्तविकता का बोध कराते हैं। वास्तविकता का संदर्भ धर्म की सामाजिक रूढ़ मान्यताओं से रहा है, धर्म को जिसने संकीर्ण परिभाषा में बांधा। पहला पाठ कहानी का पात्र देवव्रत है जिसके
जीवन में मनुष्य को सतत चलते हीं रहना होता हैं इसमें यू टर्न नहीं होता हर हाल में खुसी हो या दुख जीवन नहीं थमता यह रथ चक्र के समान होता है।