काम है प्यारा , नहीं चाम है प्यारी काम परे कछु और है काम सरे कछु और! काया राखे धर्म आपनों, तुलसी भावर के परे! समय पाए तरुवर फरेे, केतक सीचो नीर! कारज धीर होत है, काहे होता अधीर। काली घटा डरावनी, धावली वरसन हार ! कारी मां के गोरे बालक, कारी मुर्
संघ का विश्वास है कि राजनीति किसी राष्ट्र के जीवन का अभिन्न अंग होती है, परन्तु राष्ट्र का सम्पूर्ण जीवन राजनीति ही नहीं हैं। सामाजिक परिवर्तन केवल राजनीति के माध्यम से नहीं लाए जा सकते। उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जनसाधारण की शक्ति अर्थात् लोकशक्ति
भावना से प्रेम, प्रेम से आनंद और आनंदातिरेक से गीतों की सृष्टि होती है। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि जैसी कहावत से भला कौन परिचित नहीं। सुखदुख के भाववेशमयी अवस्था विशेष का गिने चुने शब्दों में स्वरसाधना से उपयुक्त चित्रण कर गीत रचना करने की योग्
Vikas Ke Path (hindi) Read more
एक जुझारू राजनेता और गुजरात के सफल मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि नरेंद्र मोदी एक लेखक भी हैं। अपनी युवावस्था में लिखी संवेदना से भरी उनकी ये कहानियाँ प्रेम और अनुराग के अलग-अलग पहलुओं को दर
हमारे 99 फीसदी विधायक अल्पमत निर्वाचकों द्वारा चुने जाते हैं, उनमें से कई डाले गए वोटों का महज 15-20 फीसदी वोट पाकर निर्वाचित हो जाते हैं—यह आबादी का बमुश्किल 4-6 फीसदी बैठता है। तो हमारी संसदीय प्रणाली कितनी प्रतिनिधि प्रणाली है? लोकसभा में 39 पार्ट
रामभक्त रंगबाज़ की कहानी में गहराई है लेकिन लहजे में ग़जब की क़िस्सागोई है। आरामगंज में कदम रखते ही आप समकालीन इतिहास की उन पेंचदार गलियों में खो जाते हैं, जहाँ मासूम आस्था और शातिर सियासत दोनों हैं। धार चढ़ाई जाती सांप्रदायिकता है लेकिन कभी न टूटने व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक-सांस्कृतिक राष्ट्रवादी संगठन है। देश में जब भी आपदा आई है, इस संगठन ने उल्लेखनीय कार्य किया है। जीवन के हर क्षेत्र में इस संगठन की उपस्थिति ध्यानाकर्षण करनेवाली है। इसी कारण सबको ऐसे विलक्षण संगठन को
जब बुराई एक महाकाय रूप धारण कर लेती है, जब ऐसा प्रतीत होता है कि सबकुछ लुप्त हो चुका है, जब आपके शत्रु विजय प्राप्त कर लेंगे, तब एक महानायक अवतरित होगा।क्या वह रूखा एवं खुरदुरा तिब्बती प्रवासी शिव सचमुच ही महानायक है? और क्या वह महानायक बनना भी चाहता
केंद्र की मोदी सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर रही है। हर सरकार अपने कार्यकाल में कुछ नीतियाँ और कुछ योजनाएँ लाती है। इन योजनाओं और नीतियों की पड़ताल भी समय-समय पर होती रहती है। यह संयोग है कि देश आम चुनावों के मुहाने पर है तो केंद्र की मोदी सरकार की योज
भावनाएँ, ज़रूरतें, महत्वाकांक्षाएँ-ये सब एक स्त्री की-लेकिन शरीर-पुरुष का! एक बेहद दर्दनाक परिस्थिति जिसमें ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है। ऐसे इन्सान और उसके घरवालों को हर मकाम पर समाज के दुव्र्यवहार और ज़िल्लत का सामना करना पड़ता है। अन
यह पुस्तक भारत में इंडियन मुजाहिदीन के नेतृत्व में चल रहे देसी इसलामी कट्टरवाद के उदय और 1992 में बाबरी ढाँचे को गिराए जाने के बाद से घर में पनप रहे इसलामी जिहादियों पर ध्यान केंद्रित करती है। 1992 की घटना के बाद हुए सांप्रदायिक दंगे, स्टूडेंट इसलामि
‘बेघर’ ममता कालिया का पहला उपन्यास और उनकी दूसरी पुस्तक है। यह कृति अपनी ताजगी , तेवर और ताप से एक बारगी प्रबुद्ध पाठकों और आलोचकों का ध्यान खींचती है। इस पुस्तक के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं, पेपर बैक संक्षिप्त संस्करण भी । हिन्दी उपन्यास
मंसाराम कज्जा है और कदमबाई कबूतरी। नाजायज़ सन्तान है राणा—न कबूतरा न कज्जा। दोनों के बीच भटकता त्रिशंकु—संवेदनशील और स्वप्नदर्शी किशोर। अल्मा और राणा के बीच पनपते रागात्मक संबंधों की यह कहानी सिर्फ़ इतनी ही नहीं है कि राणा कल्पनालोक में रहता है और अ
ये गुलज़ार की नज़्मों का मजमूआ है जिससे हमें एक थोड़े अलग मिज़ाज के गुलज़ार को जानने का मौका मिलता है। बहैसियत गीतकार उन्होंने रूमान और ज़ुबान के जिस जादू से हमें नवाज़ा है, उससे भी अलग। ये नज़्में सीधे सवाल न करते हुए भी हमारे सामने सवाल छोड़ती हैं, ऐ
एक बेतवा ! एक मीरा ! एक उर्वशी ! नही-नहीं, यह अनेक उर्वशियों, अनेक मीराओं, अनेक बेतवाओं की कहानी है। बेतवा के किनारे जंगल की तरह उगी मैली बस्तियों। भाग्य पर भरोसा रखने वाले दीन-हीन किसान। शोषण के सतत प्रवाह में डूबा समाज। एक अनोखा समाज, अनेक प्
गाँव की साधारण–सी औरत है शीलो—न बहुत सुन्दर और न बहुत सुघड़...लगभग अनपढ़—न उसने मनोविज्ञान पढ़ा है, न समाजशास्त्र जानती है। राजनीति और स्त्री–विमर्श की भाषा का भी उसे पता नहीं है। पति उसकी छाया से भागता है। मगर तिरस्कार, अपमान और उपेक्षा की यह मार न शील
प्रकाश मनु की लोकप्रिय कहानियाँ’ वरिष्ठ कवि-कथाकार प्रकाश मनु की सर्वाधिक चर्चित और चुनिंदा कहानियों का संग्रह है। अलग-अलग रंग और अंदाज की ये कहानियाँ अपनी अद्भुत किस्सागोई और अनौपचारिक लहजे के कारण अलग पहचान में आती हैं। ये जीवन की गहरी जद्दोजहद से
मैं हार गई इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय अनुभूति के धरातल पर रची गई ऐसी रचनाएँ हैं जिनके पात्र वायवीय दुनिया से परे, संवेदनाओं और अनुभव की ठोस तथा प्रामाणिक भूमि पर अपने सपने रचते हैं; और ये सपने परिस्थितियों, परिवेश और अन्याय की परम्पराओं के दबाव के
पुस्तक गुलज़ार की कुछ कविताओं का संकलन है। गुलज़ार के गीत, गुलज़ार के संवाद, गुलज़ार की फ़िल्में, सभी में एक गुण है- उनमें कविता का "रस" है क्योंकि मूल रूप से वह एक कवि बने रहते हैं।