धनबाद : झरिया से बीजेपी विधायक संजीव सिंह पर जेल में या कोर्ट में पेशी के दौरान जानलेवा हमला हो सकता है. खुफिया विभाग द्वारा पुलिस को इसकी भनक लगी तो पुरिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. धनबाद डीसी ए आंजनेयुलु ने सुर के मद्देनजर विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल से बाहर शिफ्ट करने के लिए जेल आइजी सुमन गुप्ता को पत्र लिखा है।
कांग्रसी नेता नीरज सिंह समेत चार की हत्या के मामले संजीव सिंह धनबाद जेल में बद है . संजीव को यूपी के सहारनपुर जेल में बन्द डॉन से जान का खतरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संजीव की ब्रजेश से काफी पुरानी दुश्मनी है. ब्रजेश ने संजीव के बड़े भाई राजीव रंजन सिंह की हत्या करवायी थी. इसके बाद संजीव ने उसे पकड़वाया था.
कौन है बृजेश सिंह?
बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ था। उनके पिता रविन्द्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे। सियासीतौर पर भी उनका रुतबा कम नहीं था। बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार थे। 1984 में इंटर की परीक्षा में उन्होंने बहुत अच्छे अंक पाकर टॉप किया। उसके बाद बृजेश ने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। वहां भी उनका नाम होनहार छात्रों की श्रेणी में आता था. पिता की हत्या ने बृजेश को माफिया डॉन बना दिया. बृजेश सिंह का उनके पिता रविंद्र सिंह से काफी लगाव था; वह चाहते थे कि बृजेश पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बने. समाज में उसका नाम हो. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविन्द्र सिंह की हत्या कर दी गई। इस काम को उनके सियासी विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने साथियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था. राजनीति क वर्चस्व की लड़ाई में पिता की मौत ने बृजेश सिंह के मन में बदले की भावना को जन्म दिया. इसी भावना के चलते बृजेश ने जाने अनजाने में अपराध की दुनिया में अपना कदम बढ़ा दिया.
दाऊद से दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदली
दरअसल, यहां बृजेश सिंह ने अपने पिता की हत्या में शामिल रहे पांच लोगों को एक साथ गोलियों से भून डाला था। इस वारदात को अंजान देने के बाद पहली बार बृजेश गिरफ्तार हुए और इस घटना के बाद बृजेश देश के सबसे बड़े डॉन की फेहरिस्त में शामिल हो गया और उसकी दोस्ती दाऊद से हुई लेकिन ये दोस्ती ज्यादा दिन चल नहीं पाई और ये दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए. जानकारों की मानें तो बृजेश सिंह मुंबई को दहलाने की दाऊद की योजना से पूरी तरह अनजान था। इस ब्लास्ट में हजारों बेगुनाह मारे गए और सैंकड़ों लोग घायल हुए। इस वारदात से बृजेश सिंह को गहरा आघात लगा। दाऊद के इस कदम के बाद दोनों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई.