एक तेरा साथ होने से मुझे,
परदेश भी लागे है मेरा देश,
परदेश भी बदले हमारे साथ,
कुछ कुछ हद तक खुद को।
माना सब है यहाँ अजनबी,
जमीं से आसमाँ लगे पराया,
पर हम हिंदुस्तानी जाने है,
पराये को प्यार से अपनाना।
देख किसीके चेहरे पे मुस्कान,
जग जाते है कितने अरमान,
सुन दर्द में किसीका चिखना,
बेबजह दिल को आता रोना ।
माना सब ही यहाँ बिझी है,
नहीं हाल जानने की फुरसत,
वक्त से भी तेज भागे जिंदगी,
हर पल बदले हमारी मौजूदगी।
मशीनों के परदेश में सब है गुलाम,
इंसानों को मिलता इसलिए आराम,
सब ही यहाँ बढिया और प्रगतशील,
पर लागे जैसे साथ रहता खालीपन।
माना परदेश को मैं बूरा ना कहती,
पर अपना भारत तो रग रग में है,
अब तो उंगलियों पे गिनों में दिन,
जब साथ होगें पिया संग मेरा वतन।