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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

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1- 10 से 12 नीम के पत्तों को एक गिलास पानी में भली-भांति उबालकर छान लें। ठंडा होने पर इससे गरारे करें। नीम जलन व दर्द को शांत करता है, तथा रोगाणु रोधक है। इसके नियमित प्रयोग से मुख की आंतरिक शुद्धि हो

1.बड़े चम्मच हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं. इसे अपने तलवों पर अच्छी तरह लगाएं. 5 मिनट ऐसे ही रहने दें और फिर इसे अच्छी तरह धो लें ।पैरों में जलन की दवा अगर कोई है तो सेंधा नमक

शरीर को स्वस्थ व मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन्स, विटामिन्स व खनिज (minerals) युक्त पोषक पदार्थो की आवश्यकता जीवनभर होती है | विभिन्न आयुवर्गो हेतु विभिन्न पोषक तत्त्व जरुर्री होते है, किस उम्र में

राई कफ एवं वायु नाशक, तीक्ष्ण, उष्ण, रक्तपित्तकारक, पाचन में सहायक, खुजली व कृमि को दूर करनेवाली होती है। जोड़ों की सूजन एवं दर्द, पसलियों में दर्द, स्नायुओं की कमजोरी आदि रोगों में राई के तेल की मालि

1. कान में सीटी की आवाज सुनाई देने पर अदरक और लहसुन का रस बराबर की मात्रा में लेकर गुनगुना गर्म कर लें और फिर 2-3 बून्द कानो में रात को सोते समय पर डाले और ऊपर से कान में रुई लगाकर सो जाये. इस तर

महकने लगी, दुनिया मेरी,        इक सुन्दर सुवास, आ गयी ।जिन्दगी में तेरे आने से         इक सुन्दर, प्रभात आ गयी ।तुझको पाने की हसरत थी,     

जिन्हें चलना सिखाया था,हमने,     हमें,वो आज दौड़ना, सिखा रहे हैं ।वक्त की बदौलत, हमें वो खिल-खिलाकर,      हंसना सिखा रहे हैं ।सच है कहावत, कभी नाव पानी पर,    &

1. खुलकर भूख लगने पर ही अल्प मात्रा में सुपाच्य व सात्विक भोजन करें। अपना खान पान व शयन का समय जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या के अनुसार रखें। शाम के भोजन व सोने के समय में २ से ३ घंटे का अंतर रखें।2. आ

1.दस्त लगने पर पांच ग्राम जीरा ले और इसे भून कर पीस ले और दही या दही से बनी हुई लस्सी के साथ इसका सेवन करने पर कुछ ही देर में आराम मिल जाता है और अगर दस्त के साथ पेट में मरोड़ भी उठ रही हो तो जीरे के ब

जोड़ों का दर्दः आक की बंद कलियाँ, अडूसे के सूखे पत्ते, काली मिर्च और सोंठ सभी को समान मात्रा में मिलाकर कूट पीस लें और इसमें पानी के छींटे मारकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें। एक गोली सूर्यास्त के

बल, बुद्धि व पुष्टि दायक कद्दू के बीज पका हुआ कद्दू (कुम्हड़ा या पेठा) त्रिदोषशामक एवं अमृत के समान है। इसके बीज बादाम के समान गुणकारी हैं। ये पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक धारणाशक्ति बढ़ानेवाले, मस्तिष

1-2 बार कपड़े से छानकर गाय के मूत्र (गौझरण अर्क ) में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ (बलगम) आसानी से नि

वर्तमान में जियो,      पर अतीत को, बिसराओ मत ।सुन्दर छोटी खुशियों को गले,        लगाते चलो ।बड़ी खुशियों के इन्तजार में,     छोटी खुशियों को, बिसराओ न

डायरी दिनांक ११/०४/२०२२   शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।     हर काम का सही समय होता है। समय से पहले कभी भी किसी को कुछ नहीं मिलता है।    मार्च के महीने की डायरी बहु

तुम्हारे सोलह श्रृंगार को देखकर, इक ग़ज़ल याद आयी ।      आकाश में सतरंगी इन्द्रधनुष की, छवि मेरे दिल में उतर आयी ।       खनकती चूड़ियों की झंकार, मेरे मन भायी ।शायद

हाथ पैर सुन्न होने का कारण - अंग के सुन्न होने या झनझनाहट का मुख्य कारण वहां रक्त संचार की कमी है। जब शरीर के किसी भी अंग में अधिक समय तक दबाव होता है या रक्त संचार ढंग से नहीं होता तो शरीर की नसों पर

5 तुलसी पत्ते , खुबकला 3 ग्राम , 3 अंजीर , 7 मुनका का काढ़ा बना के पिलाये सुबह शाम |गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है । नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे क

1. अजवायन को बछड़े के मूत्र में भिगोकर शुष्क कर लें । इसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन कराने से जलोदर में लाभ हो जाता है ।  2. पुनर्नवा की जड़ 10 ग्राम को गोमूत्र 20 ग्राम में पीसकर सुबह-शाम

5 ग्राम सूखा धनिया, 2 ग्राम कालानमक, 1 ग्राम हींग और 5 ग्राम अजवायन को मिलाकर चूर्ण बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन करना चाहिए। इससे छाती की जलन दूर होती है।गाजर को उबालकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से छात

सामग्री:  गिलोय के करीब एक फुट लंबे तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ। इसके साथ नीम के पत्तियों के 5-7 डंठल, 8-10 तुलसी की पत्तियां और करीब 20 ग्राम काला गुड़।काढ़ा बनाने की विधि : गि

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