हर तरफ़ ग़म का तूफ़ान है, खुशियों का दीया बेजान है। शह्र में धूप आती नहीं, सूर्य गांवों का मेहमान है। आशिक़ी के मुहल्ले में अब, बेवफ़ाओं का गुणगान है। जब से बच्चे विदेशी हुवे, बाप को ख़ौफ़े-शमशान है। मौत के बाद मिलता सुकूं, जीते जी सब परेशान हैं। ( डॉ
कोरना क्यूं घटा नहीं है जनाब , मास्क मुंह में लगा नहीं है जनाब । इस वबा से निज़ात है मुश्किल, रोग की इस दवा नहीं है जनाब । मौत का ही ये दूत है यारो, पास इसके दया नहीं है जनाब । दर्दो ग़म,भूख बेबसी-आंसू, इसके दामन में क्या नहीं है जनाब्। कितने इंस
अपने पर विश्वास ही इस ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा है, यारों ग़ैरों के भरोसे रास्ता किसको मिला है। कश्ती मेरी जानिबे मंझधार यारो जा चुकी है, अब कहां मेरा किनारों से कोई भी वास्ता है। मैं चराग़ो को जला कर बैठा हूं सदियों से लेकिन, इक अंधेरा मेरे दिल में आज भी हाँ
( कोरोना महामारी) कोरोना की हवा भी बहुत अत्याचारी है , हर मुल्क हर नगर में सितम उसका ज़ारी है । दुनिया में आई ये बीमारी ऐसी है , बस जां की मांग करता ये यारो भिखारी है । उसके सितम से बचने का बस इक तरीका है, लोगों से दूर रहने में ही होशियारी है ।
रात्रि में जब हम सोने के लिए जाते है तब हमे इस बात की गारंटी नहीं होती की हम सुबह जीवित रहेगें या नहीं फिर भी हम घड़ी में अलार्म लगाकर सोते है इसे कहते है उम्मीद
कभी 2 मन बहोत कचोटता है... सोचती हूँ तो रातों की नींद उड़ जाती है...वो बस एक मैसेज ही तोह था जिसने मेरे सोचने जा तरीक़ा ही बदल दिया........एक वक्त था कि जब मुझे लगता था कि मैं एक अच्छी और सच्ची इंसान हूँ,,,,ईमान दर और दूसरों की भलाई सोचने वाली,,मैं तो
बनवारिलाल एक रईस सेठ है।जिनकी सोने चांदी की दुकान है पर उनका मुख्य काम ब्याज मेँ पैसा उधार देना व 5 से 10 % तक ब्याक वसूलना।
कहानियाँ सभी प्रकार उम्र के लोगों के लिए है.!! ये कहानियाँ कल्पनिक हैं किसी प्रकार के से किसी को ठेस पहुँचाने का नहीं है।।। ये कहानियाँ हमारे बच्चों को एक नई दिशा देगी।। ये कहानियाँ बच्चों को नई उम्मीद की किरण दिखायेगी!!! ये कहानियाँ प
आज कल हमारे समाज में हो क्या रहा है! बस हर कोई या तो दूसरों को गलत ठहराने में लगा है या खुद को सही बताने में, वास्तविक में समाज को कोई सही राह पर नही पहुंचा रहे है।।
*प्रवित्ती* ( कहानी--प्रथम क़िश्त ) मनोहर देशमुख एक मंझोला किसान था । उनके पिता ने अपनी मेहनत से लगभग 15 एकड़ जमीन अर्जित की थी । मनोहर अपने परिवार का तीसरा सुपुत्र था । उसके दो बड़े भाईयों का नाम नोहर और गजो धर था । अभी वे सभी एक संयुक्त परिवार
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