पटना: अपराध की दुनिया से राजनीति में आए लालू के खास शागिर्द बाहुबली शाहबुद्दीन को तेजाब कांड में जमानत मिलने के बाद एक बार फिर से लोगों के दिमाग में वो खौफनाक कांड दौड़ गया जब दो भाईयों को तेजाब से जलाकर मार दिया गया था.
क्या था तेजाब कांड
2004 में 16 अगस्त को अंजाम दिए गए इस दोहरे हत्याकांड में सीवान के एक व्यवसायी चंद्रकेश्वर उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों सतीश राज (23) और गिरीश राज (18) को अपहरण के बाद तेजाब से नहला दिया गया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह चंदा बाबू के सबसे बड़े बेटे राजीव रोशन (36) थे. मामले की सुनवाई के दौरान 16 जून, 2014 को राजीव की भी हत्या कर दी गई. इसके ठीक तीन दिन बाद राजीव को इस मामले में गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर होना था. चंदा बाबू और उनकी पत्नी कलावती देवी अब अपने एकमात्र जीवित और विकलांग बेटे नीतीश (27) के सहारे अपनी बची हुई जिंदगी काट रहे हैं. पिछले साल दिसंबर में ही सीवान की एक स्थानीय अदालत ने इस हत्याकांड में राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के अलावा तीन अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
कौन है शहाबुद्दीन
90 के दशक की शुरुआत में सीवान की एक नई पहचान बनी. वजह बाहुबली नेता शहाबुद्दीन थे. जिस जीरादेई में राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था, उस इलाके से पहली बार विधायक बनकर शहाबुद्दीन ने राजनीति में कदम रखा था और कई बार सांसद-विधायक रहे. लेकिन शहाबुद्दीन इस वजह से नहीं जाने गए. वे अपराध की दुनिया से राजनीति में आए थे. 1987 में पहली बार विधायक बने और लगभग उसी समय जमशेदपुर में हुए एक तिहरे हत्याकांड से उनका नाम अपराध की दुनिया में मजबूती से उछला. उसके बाद तो एक-एक कर करीब तीन दर्जन मामलों में उनका नाम आता रहा. जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कॉमरेड चंद्रशेखर की हत्या, एसपी सिंघल पर गोली चलाने से लेकर तेजाब कांड जैसे चर्चित कांडों के सूत्रधार वही माने गए.