खा न जाये ये अंधेरी रात मुझको इसलिए,
याद का उसकी जला रक्खा है मैने ये दिया ।।
पर उसे क्या खबर, वो खेल समझी है इसे,
जिसको चाहा दे दिया दिल जिससे चाजा ले लिया।।
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कस्तियॉ डूब न जायें जो ये मझधार न हो,
कोई यूॅ ही न मरे जग मे अगर प्यार न हो ।।
हुश्न ने इश्क का बाजार न खाेला हो अगर,
इस जहॉ मे तो कोई दिल का खरीदार न हो ।।
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