सुहानी रात थी पी ली, दोस्त सब साथ थे पी ली ।
बची दो घूॅट विस्की थी, तेरी बारात थी पी ली ।।
चॉद था चॉदनी के संग, राग था रागिनी के संग ।
अकेले में तुम्हारी याद आई, याद में पी ली ।।
कशम ये थी तुम्हारी अब, कभी बोतल नहीं छूना ।
निभाई थी, नशीली ऑख देखी ऑख से पी ली ।।
कहा यारों ने,बस उस दिलनशीं के नाम पर पी लो।
पिलाई जिसने-जिसने फिर,तुम्हारे नाम पर पी ली ।।
यही आलम रहा पीने का, मेरा दोष भी क्या है ।
कभी इस बात पर पी ली, कभी उस बात पर पी ली।।
जहॉ पर मर गया था मै,तेरी डोली उधर गुजरी।
सुना मैने भी था तूने कहा, कम्बखत फिर पी ली ।।