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शिक्षा

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 बुरा समय आपके जीवन के उन सत्यों से सामना करवाता है ,जिनकी आपने अच्छे समय में कभी कल्पना भी नहीं की होती .आप के अच्छे समय मे आप के हितैसी बहुत होंगे, लेकिन जब भी तकलीफ का समय आएगा तब कुछ चुनिंदा

पाठकजनों ने अभी तक भाग-02 पढ़ा, अब भाग- 03 पढ़िए:- संतान होना या ना होना यह आपके पूर्व के कर्मों का फल है। यदि संतान को धर्म-कर्म का ज्ञान नहीं है तो वह चाहे कितनी ही नेक है, कभी न कभी गलती कर ही देगी

एक स्त्री थी जिसे 20साल तक संतान नहीं हुई।कर्म संजोग से 20वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी।वो स्त्री हद से ज

 स्वास्तिक का चिन्ह किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक के चिन्ह को

संतजन अपनी कथाओं में एक प्रसंग सुनाते हैं मेघनाथ के अयोध्या आने की और श्रीलक्ष्मणजी द्वारा उसे बंदी बना लेने की। तुलसीबाबा एक चौपाई लिखते हैं उसके आधार पर ही संभवतः यह प्रसंग बनता है. आज आपके सामने वह

इस संसार में ऋणानुबन्ध से अर्थात् किसी का ऋण चुकाने के लिए और किसी से ऋण वसूलने के लिए ही जीव का जन्म होता है; क्योंकि जीव ने अनेक लोगों से लिया है और अनेक लोगों को दिया है । लेन-देन का यह व्यवहार अने

एक राजा के पास राजा के गुरु आये । राजा ने बड़ा आदर सत्कार किया । एक बड़ी सर्वरा की थाली लेकर सुंदर रेशमी कपड़े और रेशमी जूता और धन थाली में डालकर गुरुदेव के सम्मुख रखा । तब गुरुदेव ने कहा राजन यह

एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था. वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो एक ही जवाब मिलता अभी मैं इतना छोटा हूँ..धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा, पर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास

एक बार एक गांव में एक सज्जन पुरूष रहते थे, वे बहुत ही दयालू तथा हृदय ग्राही थे, किसी को भी कभी अपशब्द नहीं कहते थे। जो भी उनके घर आता वे अच्छे से उसका आथित्य सत्कार करते। लोग उनसे सलाह मशविरा लेने आया

गुलाबी फिटकरी को मोटा मोटा पीस कर तवे पर डालकर फूला ले तभी को गर्म करके उस पर फिटकरी डालेंगे तो यह (पहले पानी के रूप में हो जाएगी उसके बाद यह पापड़ी के रूप में फूल जाए)इसको फिटकरी शुद्ध करना बोलते है

सूरदासजी जन्मांध थे उनके कोई गुरु भी नहीं थे, फिर भी कृष्ण भक्ति रस की ऐसी वर्षा, जो 'मैं' को भिगो दे.. उन्हें कैसे मिली, जब भी कभी वो किसी गड्ढे में गिरते या नदी खाई में या झरने में गिराने वाले रहते

हमेशा विदेशियों के निशाने पर रहा यह पवित्र सोमनाथ मंदिर1 .12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथमसोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है, जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में

नर्मदा नदी से निकलने वाले शिवलिंग को ‘नर्मदेश्वर’ कहते हैं। यह घर में भी स्थापित किए जाने वाला पवित्र और चमत्कारी शिवलिंग है; जिसकी पूजा अत्यन्त फलदायी है। यह साक्षात् शिवस्वरूप, सिद्ध व स्वयम्भू (जो

      हे प्रभु      अब तो ऐसी दया हो      जीवन निरर्थक जानेन पाए      यह मन ना जाने      क्या क्या कराए      क

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी चन्द्रवार (सोमवार) को मध्याह्न के समय अनुराधा नक्षत्र में श्रीराधा का प्राकट्य कालिन्दीतट पर स्थित रावल ग्राम में ननिहाल में हुआ। प्राकट्य के समय अकस्मात् प्रसूतिगृह में एक ऐसी द

 वह दोनों सगे भाई थे। गुरु और माता पिता के द्वारा शिक्षा पाई थी, पूजनीय आचार्यों से प्रोत्साहन पाया था, मित्रों द्वारा सलाह पाई थी। उन्होंने वर्षों के अध्ययन, चिन्तन और अन्वेषण के पश्चात जान

रिश्तों" की कदर भी पैसों            की तरह ही करनी चाहिए    क्यों कि            दोनों को कमाना          &

इतिहास कहता है कल सुख था..विज्ञान कहता है कल सुख होगा..लेकिन धर्म कहता है अगर मन सच्चा और दिल अच्छा है तो हर दिन सुख होगा...सुना है... नया सवेरा होंने वाला है... औऱ बदलते दिन के साथ वक़्त बदल जाता

 यह सच है कि ब्रह्मांड में केवल एक ही समय है, जो कभी नहीं रुकता। वह हमेशा अपनी गति से चलता रहता है। उनके जीवन का एक-एक पल इतना कीमती है कि दुनिया का सबसे अमीर आदमी भी यह सब खर्च नहीं कर सकता।इस

श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे सतल, इ

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