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शिक्षा

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रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है।1. रामायण राम के

लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण

ताड़ासन: जानिए ताडासन करने का तरीका और फायदेव्यस्त जीवनशैली के चलते कई बार हम शरीर पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप, शरीर का छोटी-बड़ी शारीरिक समस्याओं की चपेट में आने का जोखिम बढ़ ज

उधार की ये जिंदगी, मिली है कुछ दिनों के लिए। काटो नहीं रो रो कर, जी लो खुद के लिए। गम तो हर तरफ, छाए हैं बादलों की तरह। उनकी बारिश में, भीगो खुद के लिए। ना दिखाओ जख्मों को, रो रो कर दूसरों को। मुस्कुर

पाठकजनों ने अभी तक आपने भाग-03 पढ़ा, अब भाग- 04 पढ़िए:- भक्ति करने की प्रेरणा संत जन देते हैं। सत्संग से जीने की राह अच्छी बनती है।कबीर परमेश्वर जी ने फिर बताया है कि:-बिन उपदेश अचम्भ है, क्

एक दिन एक छोटी सी लड़की अपने पिता को दुख व्यक्त करते-करते अपने जीवन को कोसते हुए यह बता रही थी कि उसका जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुज़र रहा है।साथ ही उसके जीवन में एक दुख जाता है तो दूसरा चला आता है और

 वात, पित्त, कफ दोष के कारण , लक्षण , और इलाजवात क्या होती है वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | ‘वात’ या ‘वायु’ यह दोनों ही शब्द संस्कृत के वा गतिगन्धनयो: धातु से बने हैं

रोजी की तलाश कर रहे हमयतीम की जिंदगी जी रहे हमभूख की मार सहन नही होतीधूप की गर्मी से सूख रहे हम।।भटक भटक कर थक गए है हमकिस मुसीबत में फंस गए है हमभूखे पेट अब रहा नहीं जातापेट की अगन से सूख गए है हम।।द

 जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥भावार्थ:-जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्

 जहाँ भागवत कथा होती है वह स्थान तीर्थ स्वरूप हो जाता है। तद् गृहं तीर्थ रूपम्।महर्षि वेद व्यास ने चार श्लोकों का विस्तार 18 हजार श्लोकों में किया इसीलिए उनका नाम कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वे

   शब्दों का वजन तो बोलने के भाव पर आधारित होता है..झूठ में आकर्षण..एवं..सत्य में अटलता होती है.          गलत इंसान आपकी अच्छाई से भी नफरत करते हैं...और...सही इंसान

  यह जरुरी नहीं कि जीवन में हमेशा प्रिय क्षण ही आएं दूसरे लोगों का अनुकूल व्यवहार ही हमें प्राप्त हो। अपमान, शोक, वियोग, हानि, असफलता आदि तमाम स्थितियां आती रहती हैं और जाती भी रहती है। दुनिया का

इन्सान उन चीजों से, कम बीमारहोता है जो वो खाता है...ज्यादा बीमार वो उन चीजों सेहोता है, जो उसे अन्दर ही अन्दरखाती रहती हैं ।कम सोचे पर सही सोचेकुछ भी पाल लेना           

गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ। लगभग सभी प्राचीन भारतीय ने अपने दैनिक-ग्रन्थों में मापन, मापन की इकाइयों एवं मापनयन

उजाले में हर असलियतकहां नज़र आती है.....!अंधेरा ही बता सकता हैकि सितारा कौन है.....!!गलतियां और "खामियांढूँढना गलत नहीं है,बस शुरुआत खुद से करनी चाहिए !महत्व इंसान का नही, उसके अच्छे स्वभाव का होता है

"वह जीवन ही क्या जो जीवनदाता के लिए पुकार न करे ।जिस व्यक्ति में थोड़ा-बहुत भी संयम है, ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह धारणा-ध्यान के मार्ग में जल्दी आगे बढ़ जायेगा।हृदयमें भगवान्‌के प्रति सच्चा प्रेम

 इस दुनिया में सदैव ही दो तरह की विचारधारा के लोग जीते हैं।एक इस दुनिया को निःसार समझकर इससे दूर और दूर ही भागते हैं।दूसरी विचारधारा वाले लोग इस दुनिया से मोहवश ऐसे चिपटे रहते हैं कि कहीं यह छूट

जब कोई समस्या आये तो तीन काम करें,       उसका सामना करें -उससे लड़ें-और खत्म करें,लोग आपके पास तब नहीं आते जब आप दुःखी होते हो,     लोग आपके पास तब आते हैं जब वो खुद

एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल में जा रहे थे। ढलान पर से गुजरते अचानक शिष्य का पैर फिसला और वह तेजी से नीचे की ओर लुढ़कने लगा। वह खाई में गिरने ही वाला था कि तभी उसके हाथ में बांस का एक पौधा आ गया। उसने

 एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से, उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। एक बार वे अपने गंतव्य

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