नई दिल्ली : अगर आपको दंदफंद करना आता है तो आप भी सड़क से उठकर रातोंरात बन सकते हैं दौलतमंद. ऐसा ही कुछ करिश्मा कर दिखाया है इटावा से राजधानी लखनऊ में आकर बसे सचिदानन्द गुप्ता उर्फ़ सच्चे ने. आरोप है कि सूबे की समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह के यहां झाड़ू औऱ पोछा लगाने वाला एक मामूली सा नौकर आज करोड़पति नहीं बल्कि अरबपति बन गया. वह भी महज आठ सालों में.
कैसे लगी गुप्ता की लाटरी ?
है न हैरान करने वाली बात. यूपी बीजेपी के प्रवक्ता आई पी सिंह का आरोप है कि NRHM घोटाले के दौरान शिवपाल के यहाँ काम करने वाले ने अपने नाम से RTI लागई, जिसके बाद उसकी उसकी लाटरी लग गयी. सिंह ने इस बात का आरोप लगाते हुए 'इंडिया संवाद' को बताया कि साल 2008 में शिवपाल अपने घर में काम करने के लिए सचिदानन्द को लखनऊ लेकर आये थे. इसके बाद से वह शिवपाल के घर कि सफाई व्यवस्था का काम संभालता था. कुछ समय बाद सचिदानन्द लखनऊ की सड़कों पर पैसा जोड़कर ऑटो चलने लगा.
कैसे लगे RTI के सवाल गुप्ता के हाथ ?
एक दिन शिवपाल के घर में मौजूद न होने के कारण उनका एक करीबी घर का नौकर समझकर उन्हें कुछ कागजात मालिक को देने के लिए थामकर चला गया. बीजेपी प्रवक्ता का आरोप है कि ये कागजात मायावती सरकार में हुए NRHM घोटाले के थे. जिसकी RTI लगाकर उसके जवान मांगे जाने थे. 8वीं कक्षा तक पढ़े इस दिमाग वाले नौकर सचिदानन्द ने उन सवलों वाले कागज की RTI अपने नाम से दाल दी. फिर तो उसकी लाटरी ही निकल पड़ी.
सचिदानन्द ने करोड़ों लेकर सहगल के कहने पर RTI वापस ली
दरअसल जब इस बात की जानकारी सूबे की सीएम मायावती को लगी तो उन्होंने तत्काल इस मामले का सुलटाने का काम प्रदेश के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल को सौंपा. जिसके चलते सहगल ने सचिदानन्द से तयतोड़ करने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद लोगों को इस काम के लिए लगाया. इसके बाद RTI वापस लेने के एवेज में उसे रकम की लालच दी गयी. बीजेपी प्रवक्ता आईपी सिंह के मुताबिक इस RTI को वापस लेने के लिए सचिदानन्द गुप्ता को सहगल के जरिये 5 से 10 करोड़ रुपये का नजराना पेश किया गया. अब तो सचिदानन्द की लाटरी ही लग गयी.
हौसले ऊंची उड़ान भर रहे है सचिदानन्द के
बताया जाता है कि छठे मील में तकरीबन 200 करोड़ का फार्म हाउस है. इसके अलावा दो कालेज चला रहे हैं. सिंह के मुताबिक सपा सरकार के कार्यकाल में वह नवनीत सहगल के खास चहेते बनकर अपनी प्रिंटिंग प्रेस के जरिये करीब 50 लाख का काम अब तक राज्य सूचना विभाग का कर चुके हैं. इस बाबत जब RTI के जरिये सूचना मांगी गयी तो आईपी सिंह बताते हैं उन्हें सूचना ही नहीं दी गयी. जिसके चलते उसके हौसले ऊंची- ऊंची उड़ान भर रहे है.