भोपालः देश में नए एम्स भवनों के निर्माण को मोदी सरकार ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट घोषित कर रखा है। मगर, भाजपा सरकार वाले मध्य प्रदेश में ही इस डीम प्रोजेक्ट की हालत खस्ता है। यह हाल तब है जबकि कोई और नहीं बल्कि मोदी के करीबी शिवराज चौहान मुख्यमंत्री हैं। अप्रैल में हुई बैठक में मोदी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी देश में आधे दर्जन एम्स के निर्माण में देरी पर नाराजगी जता चुके हैं। फिर भी मातहत सबक लेने को तैयार नहीं हैं।
एमबीबीएस सत्र हो गया लेट
अखिल भारतीय आयुर्वि ज्ञान संस्थान भोपाल में शहर से छह किमी दूर नया परिसर निर्माणाधीन है। पिछले कुछ समय से नए भवनों का निर्माण ठप पड़ा है। एम्स में मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल, गर्ल्स हॉस्टल, ब्वॉयज हॉस्टल, एनिमल हाउस, आडिटोरियम, आयुष बिल्डिंग सहित 26 इमारतों में काम चल रहा है। इसमें ज्यादातर भवनों का काम अधूरा पड़ा है। यूजी, पीजी, नर्सिंग हॉस्टल समेत कई बिल्डिंगों का कार्य ठप पड़ा होने से एमबीबीएस का सत्र 17 दिनों लेट हो गया है।
हर विभाग के लिए बन रहा अलग भवन
156 एकड़ में फ़ैले एम्स में हर विभाग के लिए अलग अलग भवन बनाए जा रहे हैं। एम्स को चलाने के लिए सभी भवनों का उपयोग किया जाना आवश्यक है, और यही कारण है कि प्रबंधन को जल्द से जल्द हैंडओवर का इंतज़ार करना पड़ रहा है। एम्स के अलग अलग भवनों के लिए ठेके भी अलग अलग कंपनियों को दिये गए है , जिसके चलते निर्माण कार्य बेहद धीमा हो चला है, और कई जगह इनमें उपयोग हो रहे समान में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है।
ये है मौजूदा स्थिति
अधूरे पड़े एम्स के इन भवनों का महज़ स्ट्रक्चर ही तैयार हो पाया है। जबकि भवन के अंदर का निर्माण पूरी तरह से अधूरा पड़ा हुआ है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर ने कहा कि अभी इंटीरियर का काम चल रहा है। बिजली फिटिंग, फर्नीचर सीवेज लाइन आदि का काम विभिन्न एजेंसियां कर रहीं हैं। कार्यों के पूरा होने के बाद ही भवनों को हैंड ओवर किया जा सकेगा। एक वर्ष में भवन हैंडओवर हो जाएंगे।