नई दिल्लीः विश्व में शांति कायम करने की दिशा में अहम योगदान देने के लिए इस बार कोलंबिया के राष्ट्रपति ख्वान मैनुअल सांतोस को शांति के नोबल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इसकी खबर मिलते ही मंगोलियाई राष्ट्रति ने श्री श्री रविशंकर का शुक्रिया अदा किया। जानते हैं क्यों। इसलिए कि रविशंकर की एक टिप्स की बदौलत ही सांतोस नोबल पुरस्कार तक पहुंच सके।
रविशंकर की टिप्स ने खत्म कराया 52 साल से चला आ रहा खूनी खेल
दरअसल आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर ने कोलंबिया के राष्ट्रपति को रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया यानी फार्क विद्रोहियों के साथ शांति समझौता पर दस्तख्वत करने का सुझाव दिया था। क्योंकि
52 साल से फार्क विद्रोहियों के संघर्ष में अब तक दो लाख 60 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 60 लाख से अधिक को अपना घरबार छोड़ना पड़ा है। रविशंकर की सलाह मानते हुए सांतोस ने दस्तख्वत किया तो 52 साल पुराना सिविल वॉर हमेशा के लिए खत्म हो गया। इस शांति समझौते के पास होने के बाद जब 26 सितंबर को सेरेमनी आयोजित हुई तो कोलंबिया के राष्ट्रपति ने रविशंकर को भी इसमें आमंत्रितत किया।
नोबेल पुरस्कार समिति की चेयरवुमेन कासी कूलमन ने पुरस्कार को लेकर कहा कि नॉर्वे की नोबेल समिति ने 2016 का शांति का नोबेल पुरस्कार कोलंबिया के राष्ट्रपति ख़्वान मैनुएल सांतोस को देश के पचास साल से ज़्यादा पुराने गृह युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए प्रयासों के लिए देने का फ़ैसला किया है."
इवेंट के दौरान सांतोस ने दिया रविशंकर को शुक्रिया
शांति समझौते की सेरेमनी के दौरान कोलंबिया के राष्ट्रपति सांतोस ने श्री श्री रविशंकर का शुक्रिया अदा किया। कहा कि शांति प्रक्रिया के लिए जो आपने किया, उसके लिए हम शुक्रिया अदा करते हैं। इस सफर में आप हमारे के लिए दोस्त और मार्गदर्शक बने रहे। आपकी सलाह और मदद शांति के सफर में काफी सहायक सिद्ध हुई। मैं हमेशा आपका आभारी रहूंगा। इस दौरान रविशंकर ने अपने करीब पांच सौ वालंटियर्स को भी संबोधित कर शांति से जीने के टिप्स दिए।