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श्रीकान्त

शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय

20 अध्याय
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यह भी कहा जाता है कि शरतचंद्र का उपन्यास 'श्रीकांत' मुजफ्फरपुर में उस स्त्री से उनके मिलन की घटना पर आधारित है जिसका नाम उपन्यास में राजलक्ष्मी उर्फ़ प्यारी है. उसे एक तवायफ के रूप में दिखाया गया है. उपन्यास में एक प्रसंग आता है जिसमें श्रीकांत एक जमींदार के साथ तवायफ की महफ़िल में भाग लेता है. श्रीकान्त वर्मा ने सारी परिस्थितियों के संयोजन में अपनी और युग - जीवन की विसंगतियों को एक साथ प्रस्तुत कर यथार्थ के साथ तीव्र और तीखी उत्तेजना को व्यंजित किया है। अनेक स्थलों पर उनका अनुभव आक्रोश की उत्तेजनाओं से मुक्त होकर कहीं अधिक गहरे स्तर पर व्यंजित हुआ है। श्रीकान्त वर्मा ने आज की स्थिति से टकराने की कोशिश की है। उससे न केवल कविता के मुहावरे में परिवर्तन आया है बल्कि भाषा और शिल्प की दृष्टि से कविता जनसामान्य की कविता का रूप धारण करती है।  

shrikant

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पुस्तक के भाग

1

श्रीकान्त भाग 1

25 जनवरी 2022
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मेरी सारी जिन्दगी घूमने में ही बीती है। इस घुमक्कड़ जीवन के तीसरे पहर में खड़े होकर, उसके एक अध्यापक को सुनाते हुए, आज मुझे न जाने कितनी बातें याद आ रही हैं। यों घूमते-फिरते ही तो मैं बच्चे से बूढ़ा ह

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श्रीकान्त भाग 2

25 जनवरी 2022
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पैर उठते ही न थे, फिर भी किसी तरह गंगा के किनारे-किनारे चलकर सवेरे लाल ऑंखें और अत्यन्त सूखा म्लान मुँह लेकर घर पहुँचा। मानो एक समारोह-सा हो उठा। “यह आया! यह आया!” कहकर सबके सब एक साथ एक स्वर में इस त

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श्रीकान्त भाग 3

25 जनवरी 2022
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आज मैं अकेला जाकर मोदी के यहाँ खड़ा हो गया। परिचय पाकर मोदी ने एक छोटा-सा पुराना चिथड़ा बाहर निकाला और गाँठ खोलकर उसमें से दो सोने की बालियाँ और पाँच रुपये निकाले। उन्हें मेरे हाथ में देकर वह बोला, “ब

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श्रीकान्त भाग 4

25 जनवरी 2022
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मनुष्य के भीतर की वस्तु को पहिचान कर उसके न्याय-विचार का भार अन्तर्यामी भगवान के ऊपर न छोड़कर मनुष्य जब स्वयं उसे अपने ही ऊपर लेकर कहता है 'मैं ऐसा हूँ, मैं वैसा हूँ, यह कार्य मेरे द्वारा कदापि न होता

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श्रीकान्त भाग 5

25 जनवरी 2022
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इस अभागे जीवन के जिस अध्याय को, उस दिन राजलक्ष्मी के निकट अन्तिम बिदा के समय आँखों के जल में समाप्त करके आया था- यह खयाल ही नहीं किया था कि उसके छिन्न सूत्र पुन: जोड़ने के लिए मेरी पुकार होगी। परन्तु

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श्रीकान्त भाग 6

25 जनवरी 2022
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उस दिन फिर मेरा जी न चाहा कि नीचे जाऊँ, इसलिए, नन्द और टगर के युद्ध का अन्त किस तरह हुआ- सन्धि-पत्र में कौन-कौन-सी शर्तें निश्चित हुईं, सो मैं कुछ नहीं जान पाया। परन्तु, बाद में देखा कि शर्तें चाहे जो

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श्रीकान्त भाग 7

25 जनवरी 2022
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रास्ते में जिन लोगों के सुख-दु:ख में हिस्सा बँटाता हुआ मैं इस परदेश में आकर उपस्थित हुआ था, घटना-चक्र से वे तो रह गये शहर के एक छोर पर और मुझे आश्रय मिला शहर के दूसरे छोर पर। इसलिए, इन पन्द्रह-सोलह दि

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श्रीकान्त भाग 8

25 जनवरी 2022
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एकाएक अभया दरवाजा खोलकर आ खड़ी हुई; बोली, “जन्म-जन्मान्तर के अन्ध संस्कार के धक्के से पहले पहल अपने आपको सँम्हाल न सकी, इसीलिए मैं भाग खड़ी हुई थी श्रीकान्त बाबू, उसे आप मेरी सचमुच की लज्जा मत समझना।”

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श्रीकान्त भाग 9

25 जनवरी 2022
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कलकत्ते के घाट पर जहाज जा भिड़ा देखा, जेटी के ऊपर बंकू खड़ा है। वह सीढ़ी से चटपट ऊपर चढ़ आया और जमीन पर सिर टेक प्रणाम करके बोला, “माँ रास्ते पर गाड़ी में राह देख रही हैं। आप नीचे जाइए, मैं सामान लेकर

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श्रीकान्त भाग 10

25 जनवरी 2022
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एक दिन जिस भ्रमण-कहानी के बीच ही में अकस्मात् यवनिका डालकर बिदा ले चुका था, उसको फिर किसी दिन अपने ही हाथ से उद्धाटित करने की प्रवृत्ति मुझमें नहीं थी। मेरे गाँव के जो बाबा थे वे जब मेरे उस नाटकीय कथन

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श्रीकान्त भाग 11

25 जनवरी 2022
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साधुजी खुशी से चले गये। उनकी विहार-व्यथा ने रतन को कैसा सताया, यह उससे नहीं पूछा गया, सम्भवत: वह ऐसी कुछ सांघातिक न होगी। और एक व्यक्ति को मैंने रोते-रोते कमरे में घुसते देखा; अब तीसरा व्यक्ति रह गया

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श्रीकान्त भाग 12

25 जनवरी 2022
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अपने आपको विश्लेषण करने बैठता हूँ, तो देखता हूँ, जिन थोड़े-से नारी-चरित्रों ने मेरे मन पर रेखा अंकित की है, उनमें से एक है वही कुशारी महाशय के छोटे भाई की विद्रोहिनी बहू सुनन्दा। अपने इस सुदीर्घ जीवन

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श्रीकान्त भाग 13

25 जनवरी 2022
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मनुष्य की परलोक की चिन्ता में शायद पराई चिन्ता के लिए कोई स्थान नहीं। नहीं तो, मेरे खाने-पहरने की चिन्ता राजलक्ष्मी छोड़ बैठी, इतना बड़ा आश्चर्य संसार में और क्या हो सकता है? इस गंगामाटी में आए ही कित

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श्रीकान्त भाग 14

25 जनवरी 2022
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संध्या तो हो आई, पर रात के अन्धकार के घोर होने में अब भी कुछ विलम्ब था। इसी थोड़े से समय के भीतर किसी भी तरह से हो, कोई न कोई ठौर-ठिकाना करना ही पड़ेगा। यह काम मेरे लिए कोई नया भी न था, और कठिन होने क

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श्रीकान्त भाग 15

25 जनवरी 2022
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अब तक का मेरा जीवन एक उपग्रह की तरह ही बीता, जिसको केन्द्र बनाकर घूमता रहा हूँ उसके निकट तक न तो मिला पहुँचने का अधिकार और न मिली दूर जाने की अनुमति। अधीन नहीं हूँ, लेकिन अपने को स्वाधीन कहने की शक्ति

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श्रीकान्त भाग 16

25 जनवरी 2022
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इस संसार का सबसे बड़ा सत्य यह है कि मनुष्य को सदुपदेश देने से कोई फायदा नहीं होता- सत्-परामर्श पर कोई जरा भी ध्या न नहीं देता। लेकिन चूँकि यह सत्य है, इसलिए दैवात् इसका व्यतिक्रम भी होता है। इसकी एक घ

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श्रीकान्त भाग 17

25 जनवरी 2022
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वैष्णवी ने आज मुझसे बार-बार शपथ करा ली कि उसका पूर्व विवरण सुनकर मैं घृणा नहीं करूँगा। “सुनना मैं चाहता नहीं, पर अगर सुनूँ तो घृणा न करूँगा।” वैष्णवी ने सवाल किया, “पर क्यों नहीं करोगे? सुनकर औरत-म

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श्रीकान्त भाग 18

25 जनवरी 2022
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आज बे-वक्त कलकत्ते पहुँचने के लिए निकल पड़ा। उसके बाद इससे भी ज्यादा दुखमय है बर्मा का निर्वासन। वहाँ से लौटकर आने का शायद समय भी न होगा और प्रयोजन भी न होगा। शायद यह जाना ही अन्तिम जाना हो। गिनकर देख

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श्रीकान्त भाग 19

25 जनवरी 2022
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दूसरे दिन मेरी अनिच्छा के कारण जाना न हुआ किन्तु उसके अगले दिन किसी प्रकार भी न अटका सका और मुरारीपुर के अखाड़े के लिए रवाना होना पड़ा। जिसके बिना एक कदम भी चलना मुश्किल है वह राजलक्ष्मी का वाहन रतन त

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श्रीकान्त भाग 20

25 जनवरी 2022
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एक दिन सुबह स्वामी आनन्द आ पहुँचे। रतन को यह पता न था कि उन्हें आने का निमन्त्रण दिया गया है। उदास चेहरे से उसने आकर खबर दी, “बाबू, गंगामाटी का वह साधु आ पहुँचा है। बलिहारी है, खोज-खाजकर पता लगा ही लि

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