लखनऊ: बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की कल हुई आपसी मुलाकात को यधपि भारतीय जनता पार्टी महत्व नही दे रही है पर यह निश्चित है कि यह मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध किसी गहरी साजिश को रंग देने के लिये रची गई थी क्योंकि दोनों ही नेता शिष्टाचार के तहत आजतक कभी नही मिले है।
इधर यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस में राहुल गांधी की निरंतर गिरती साख से कांग्रेस के शीर्ष नेता भी बेचैन है और भीतर ही भीतर राहुल गांधी के विकल्प की बात करने लगे है। दिल्ली के पूर्व कांग्रेस अध्य्क्ष अरविंदर सिंह लवली तथा दिल्ली कांग्रेस महिला अघ्यक्ष बरखा शुक्ला के बयानों ने राहुल गांधी की अयोग्यता को प्रमाणित कर दिया है।
सोनिया गांधी भी राहुल की अयोग्यता से भी भाँति परिचित है पर पुत्र मोह और सत्ता की लोलुपता में इन सब बातों की अनसुनी करती चली आ रही है। नीतीश कुमार से मुलाकात का कारण राहुल गांधी भी हो सकते है, राहुल को प्रधान मंत्री पद का दावेदार बनाकर सोनिया किसी महागठबंधन के प्रस्ताव से सहमत हो सकती है।
इस प्रस्ताव से नीतीश कहा तक सहमत होंगे, सबकी समझ से परे है क्योकि सम्पूर्ण विपक्ष पहले ही महागठबंधन बनाकर भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ने की तैयारी में है लेकिन विपक्षी दल प्रधानमंत्री के पद हेतु किसी के नाम पर अबतक एकमत नही हो सका है।
ऐसी भी संभावना हो सकती है कि स्वंम नीतीश कुमार प्रधान मंत्री के पद के लिए अपने नाम पर सोनिया की सहमति लेने आये हो पर इसकी संभावना राजनीति में कांग्रेस के चरित्र को देखते हुये बहुत कम लगती है।
कांग्रेस बर्बाद हो सकती है पर राहुल को बर्बाद होते देख नही सकती है।यह बात दूसरी है कि पुराने कांग्रेसी राहुल गांधी के विरुद्ध अब एक एक कर अपनी आवाज़ बुलन्द कर अपने पदों से त्याग पत्र देने लगे है।