रांची : झारखंड विधानसभा बुधवार को शर्मसार हो गई. CNT-SPT एक्ट में सशोधन के मुद्दे को लेकर विधायक आपस में भिड़ गए. एक दूसरे पर कुर्सियां फेकी . स्पीकर दिनेश उरांव पर भी कुर्सी और जूते से हमला किया गया.
अब तक इसमें 26 बार संसोधन हो चुका है
CNT- SPT एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर इंदर सिंह नामधारी ने इंडिया संवाद को बताया कि पहली बार सरकार कोई ऐसा काम नहीं करने जा रही है जिससे भू चाल आ जाएगा . हां इसे लेकर रघुवर सरकार ने आदिवासी नेताओ को जान बूझ कर मौका दे दिया है, अति उत्साह मुख्यमंत्री रघुवर दास को ले बेठा. यह सबको पता है कि अब तक इसमें 26 बार संसोधन हो चुका है . लेकिन रघुवर सरकार ने विरोधियो को पिंच करने का मौका दे दिया है कि विकास के नाम पर आदिवासियों को बेघर कर जमीन पूंजीपतियों को देना चाहती है.
अब तक इसमें 26 बार संसोधन हो चुका है
नामधारी ने फोन पर बताया कि 1996 में भी बिहार सरकार ने एसटीपी एक्ट में संशोधन कर इसमे एससी और ओबीसी जैसे आर्थिक रुप से कमजोर जातियों को जोड़ा था. मूल अधिनियम सिर्फ एसटी की जमीनों पर लागू होता था. साथ ही उसमें ऐसे पिछड़ी जातियों को इस सूची में जोड़ा गया. जिनकी जमीन की बिक्री पर सीएनटी एक्ट के मुताबिक रोक लगती है.
शिबू सोरेन 1996 में CNT-SPT एक्ट संशोधन में लालू के साथ थे
आज जो विरोध का झंडा लिए खड़े है वह भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पहले के संशोधन में शामिल रहे हैं. सीएसटी - एसपीटी एक्ट में 1996 में संशोधन हुआ . उस समय झारखंड़ के ही इंद्र कुमार नामधारी भू-राजस्व मंत्री थे और शिबू सोरन जैक अध्यक्ष और सूरज मंहत जैक उपाध्यक्ष थे . इंदर सिंह नामधारी ने बातचीत में कहा कि जब लालू यादव ने इसमें संशोधन के लिए कहा तो मैने मना कर दिया था. लेकिन उन्होनें कहा कि इसे हर हाल में करना है . और विधानसभा में संशोधन विध्यक लाया गया . उस समय शिबू सोरेन , सूरज मंडल जैसे तमाम आदिवासी नेता लोग लालू यादव साथ थे सरकार ने संशोधन लाया और विधानसभा में पास हुआ.