देहरादून: एरीज द्वारा आयोजित कार्यशाला में वै ज्ञान िकों ने कहा कि 3.6 मीटर दूरबीन नासा के कैप्लर व इसरो के एस्ट्रोसैट मिशन से लिए चित्रों के आगे के अध्ययन में मददगार साबित होगी। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की देवस्थल स्थित 3.6 मीटर दूरबीन नासा के कैप्लर व इसरो के एस्ट्रोसैट मिशन से लिए चित्रों के आगे के अध्ययन में मददगार साबित होगी। भारत व बेल्जियम में उपलब्ध सुविधाओं के आदान-प्रदान का दोनों देशों को बेहतर लाभ मिल सकता है। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान द्वारा आयोजित बेल्जो इंडियन नेटवर्क फार एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स की चार दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन वैज्ञानिकों के बीच महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गहन विचार किया गया।
बेहद मददगार साबित होगी एरीज दूरबीन
बेल्जियम के वैज्ञानिक परसिया लैम्पेंस ने कहा कि वर्तमान में नासा, यूरोप, जापान समेत कई ऐसे देश हैं जिनमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। जिनसे प्राप्त आकड़ों के आगे के अध्ययन में एरीज की 3.6 मीटर की दूरबीन आगे का कार्य बेहतर ढंग से कर सकती है। डॉ. रामकेश यादव ने स्पेस फोटोग्राफी को लेकर कैमरों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब नैनो सेकेंड में लिए जाने वाली तस्वीरों को आधुनिक कैमरों की सहायता से लिया जा सकता है।
डॉ. कैटरेन कोलनबर्ग ने तारों के पलशेसन पर प्रकाश डाला साथ ही तारों के विस्फोट के बाद होने वाले नतीजों के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा चार मीटर लिक्विड मिरर टेलीस्कोप के आगे के निर्माण को लेकर चर्चा की गई। साथ ही इस टेलीस्कोप से आसमान के सर्वे के लिए प्रथम चरण पर मंथन किया गया। कार्यशाला गुरुवार को भी जारी रहेगी। कार्यशाला में जापान, थाईलैंड, बेल्जियम, अफ्रीका व भारत के तीस शोधार्थियों ने भाग लिया।