shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

तारीख़ में औरत

अशोक पांडे

0 अध्याय
0 लोगों ने खरीदा
0 पाठक
14 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9789392621147

औरत ने कुदरत को सँवारकर रखने में अपनी हिस्सेदारी निभाई क्योंकि उसका जन्म ही सृजन के लिये हुआ था। उसने युद्ध नहीं रचे। उसे इसकी फ़ुरसत ही नहीं थी। तमाम तरह की विभीषिकाओं के बीच और उनके गुज़र जाने के बाद भी उसने जीवन के बीज बोए। इसके लिये उसे कभी किसी अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता नहीं रही। यह और बात है कि न जाने कब से पिलाई जाती रही त्याग, ममता और श्रद्धा की घुट्टियों ने उसके अस्तित्व को इस कदर बांधा कि वह आज तक इन्हीं छवियों में मुक्ति तलाशती आ रही है। बहुत मुमकिन है आपने इस किताब में आने वाली औरतों में से अनेक के नाम न सुने हों। जीवन की भयानक त्रासदियों से गुज़रकर वे टूटीं, गिरीं और फिर उठकर खड़ी हुईं। ज़रूरी नहीं कि उन्हें किसी के सामने ख़ुद को किसी तरह साबित ही करना था लेकिन उन्होंने ज़िंदगी चुनी। उनमें से एक-एक हमारे ही भीतर लुक-छुपकर बैठी है, हमारे-आपके आसपास की औरत है। इस औरत ने बड़े एहतियात से तमाम शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संघर्षों के बीच अपनी राह बनाई है। अशोक पाण्डे इसी औरत का हाथ थाम लेते हैं। —स्मिता कर्नाटक 

taariikhh meN aurt

0.0(0)

पुस्तक की झलकियां

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए