नई दिल्ली : भारत से बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी सऊदी अरब नौकरी के लिए जाती है लेकिन बीते कई समय से सऊदी जाने वालों और वहां से फोन कर पत्नियों का तलाक देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ताज़ा मामला मुजफ्फरनगर का है जहाँ न्यामू गांव की आसमां का निकाह 2 साल पहले सहारनपुर के गांव मझेड़ी निवासी शाहनवाज के साथ हुआ था।
आसमां के पिता ने लड़की का विवाह बड़ी धूमधाम से किया, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही आसमां पर जुल्म ढाए जाने लगे। दुखों का पहाड़ तब टूट पड़ा जब सऊदी अरब में बैठे उसके पति का फोन आया। आसमां कुछ कह पाती उससे पहले ही शाहनवाज ने उसे तलाक दे दिया।
मुजफ्फर नगर से बड़ी संख्या में मर्द सऊदी नौकरी के लिए जाते हैं और वहीँ से ईमेल, स्काईप, मोबाइल मैसेज और व्हाट्सऐप जैसे सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए पत्नियों से नाता तोड़ देते हैं। ऐसे में देशभर में कॉमन सिविल कोड पर विवाद जारी है। इसमें ट्रिपल तलाक को लेकर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने आ गए हैं। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने आ गए हैं। मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि तलाक की वैधता सुप्रीम कोर्ट तय नहीं कर सकता।
भारत में क्या हैं तीन तलाक के हालात
भारत में मुस्लिम आबादी का सबसे बड़ा राज्य असम और बंगाल हैं। असम की आबादी में लगभग 34 फीसदी मुस्लिम हैं तो बंगाल में 30 फीसदी। एक आंकलन की माने तो मुस्लिम तबके की 92.1 फीसदी महिलाएं तीन बार बोल कर तलाक की इस प्रथा पर पाबंदी के पक्ष में हैं।
देश के 10 राज्यों में किए गए इस अध्ययन में शामिल ज्यादातर महिलाएं आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े तबके की थी. उनमें से लगभग आधी महिलाओं का विवाह 18 साल की उम्र से पहले हो गया था और उनको घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा था।
तीन तलाक इन इस्लामिक देशों में बैन है
पाकिस्तान: 1961 से
बांग्लादेश: 1971 से
मिस्र: 1929 से
सूडान: 1935
सीरिया: १९५३