किसी उजड़े हुए गुलशन को जैसे साख दे दी हो...
किसी गुजरे हुए लम्हें की जैसे राख़ दे दी हो...
हृदय की कश्मकश आग़ोश में थामे हुए पल-पल
किसी उम्मीद के आँशू को जैसे प्यास दे दी हो...
कभी हर पल जहाँ रहती थी बस यादों की बीनाई...
अचानक थम गई कुछ पल मुक़म्मल दर्द-ए-तन्हाई...
असम्भव है मग़र फ़िर भी अनोखा सा नज़ारा है...
किसी ने ख़ुद की यादों में मुझे फ़िर से उभारा है...
ग़म-ए-अहसास की खुशियों का एक आदेश आया है...
कोई संदेश आया है...
कोई संदेश आया है..!
...........💔............
तेरा संदेश आया है.!!