तुम वाणी की समरसता थे
तुम थे संसद की एक तान...
तुम राष्ट्रगीत थे भारत का
तुम सवा अरब का राष्ट्रगान..!
होगा तुम जैसा धीर कहाँ
यह घाव नहीं भर पाएगा...
इतिहास अगर ख़ुद भी चाहे
तुमको ना दोहरा पाएगा..!
तुम स्वर्णमयी गौरवगाथा
आदर्शों के आधार पटल...
अब पंचतत्व में हो विलीन
हे भारत माँ के वीर अटल..!
(परमआदरणीय भारत-रत्न युगपुरुष श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को करुणामय श्रद्धांजलि)