नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के दादरी इलाके के बिसाहड़ा गांव में फिर से तनाव बरकरार हो गया है। संदिग्ध हाल में हुई आरोपी रवि की मौत पर समर्थकों ने शहीद करार देते हुए शव पर तिरंगा रख दिया और सरकार से एक करोड़ रुपये के मुआवजा देने की मांगा। इसके साथ ही गांव के हजारों लोग अखलाक हत्याकांड में नामजद सभी 17 लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग पर गुरुवार को धरने पर बैठ गए थे। इसी कांड में नामजद 22 वर्षीय रविन सिसोदिया की मौत मंगलवार को किडनी और श्वसन तंत्र फेल हो जाने से हो गई थी। लेकिन सवाल तो उठ चला है मृतक के शव पर तिरंगा लपेटने का, अब हर जगह लोग यही चर्चा कर रहे हैं कि आखिर एक हत्या के आरोपी पर तिरंगे के लपेटे जाने का मतलब है क्या और नेता,मंत्री और सांसद वहां जाकर साबित क्या करना चाहते हैं कि क्या वो वाकई शहीद है।
हत्याकांड के आरोपी पर लिपटा तिरंगा, मूक बन देखते रहे मंत्री महोदय
हत्याकांड के मुजरिम रवि की ताबूत को जिस तरह से तिरंगे से लपेटा गया उसने कल के हिंदुस्तान पर बहुत सारे सवालात खड़े कर दिये, आप को याद होगा कि ठीक एक साल पहले बिसाहड़ा में सांप्रदायिक तनाव का माहौल था क्योंकि अखलाक़ के परिवार पर एक हिंसक भीड़ ने देर रात हमला कर दिया था। भीड़ का मानना था कि अखलाक़ के परिवार ने गोहत्या की है और उसका मांस खाया है। भीड़ का गुस्सा जब तक शांत होता तब तक अखलाक़ अपनी जान गंवा चुका था और उसका छोटा बेटा दानिश मौत के मुहाने पर पड़ा तड़प रहा था। लेकिन रवि का मरना क्या था कि उसकी शव पर राजनीति शुरु हो गई है और उसे तिरंगे में लपेटकर गांव में रखा गया था. इसके अलावा उसे शहीद का दर्जा देने की मांग की जा रही थी। इसके साथ ही अब लोग यह सवाल भी पूछने लगे हैं कि क्या तिरंगे को कोई भी कैसे भी अपने मन मुताबिक़ इस्तेमाल कर सकता है। सोशल मीडिया पर भी लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं कि कभी बाला साहब ठाकरे तो कभी रवि जैस लोगों के लिए उनके समर्थक आखिर कब तक तिरंगे को अपने हिसाब से इस्तेमाल करेंगे। तिरंगे का अपना एक मान है और उसे शहीद या शहादत पर ही लगाया जाता है जिसके अपने क़ायदे नियम हैं मगर इस देश में तो हर कोई अपने तरीके से चीज़ों को गढ़ने में लगा हुआ है। सांसदों से लेकर मंत्री तक की मौजूदगी में यह सब हो रहा है तो आखिर देश किस दिशा में जा रहा है।
रवि की मौत पर क्या कहती है चिकित्सकीय रिपोर्ट
एलएनजेपी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जे सी पांडेय साफ कहा था, “मरीज को किडनी फेल्यूर और हाई ब्लड शुगर जैसी बुरी दशा में दोपहर करीब 12 बजे लाया गया था लेकिन शाम 7 बजे तक किडनी फेल होने और सांस लेने में दिक्कत होने पर उसकी मौत हो गई।” गांववालों का आरोप है कि रविन और उसके साथ तीन और आरोपियों की जेल की पिटाई की गई है, जिसके बाद रविन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। इसपर जेल प्रशासन का कहना है कि रविन फेफड़े के इन्फेंक्शन से पीड़ित था लेकिन पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही इस बारे में कुछ बताया जा सकेगा। हालांकि रविन के परिजनों का कहना है कि उसे किडनी की कोई परेशानी नहीं थी। 30 सितंबर को उनलोगों ने कोर्ट में आवेदन दिया था कि चिकिन गुनिया का इलाज कराने के लिए उसे गौतम बुद्ध नगर के अस्पताल में भर्ती कराया जाय। इसबीच, बिसाहड़ा में वीएचपी की नेता साध्वी प्राची समेत दर्जनों गौरक्षक मौजूद रहीं। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में दादरी में मोहम्मद अखलाक की बीफ खाने के संदेह के आधार पर भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
हंगामे के बाद हुआ अंतिम संस्कार
लेकिन शुक्रवार की देर शाम दादरी कांड के आरोपित रवि का अंतिम संस्कार उसके पैतृक बिसहड़ा गांव में कर दिया गया। स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने भी बिसहड़ा गांव पहुंचकर पीडि़त परिवार से मुलाक़ात कर गांव वालों के समझाया जिसके बाद जाकर लोगों ने अंतिम संस्कार करने दिया। महेश शर्मा ने पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए का चेक सौंपा था। वहीं, यूपी सरकार ने भी मुआवजा राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा कर दी है। हालांकि गुरुवार को बिसाहड़ा गांव में परिजन और ग्रामीणों ने कैंडल मार्च निकालकर आरोपी रवी के लिए इंसाफ की मांग की थी। उनका कहना था कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। इस बीच रवि के शव को को शहीदों की तरह तिरंगे में लपेटकर कॉफिन फ्रीजर में रखा गया था।
क्या है पूरा मामला
पिछले साल 28 सितंबर को गोमांस खाने और रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने अख़लाक़ कर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मामले में पुलिस ने रवि समेत 14 लोगों को हिरासत में लिया था। बीते मंगलवार को रवि की अस्पताल में मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने उसकी मौत को हत्या बताया। उनके मुताबिक 23 सितंबर को जेल में कैदियों के बीच मार-पीट हुई थी जिसके बाद जेलर ने रवि को सजा के तौर पर उठक-बैठक और पिटाई की थी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और उसकी मौत हो गई।