कवि: शिवदत्त श्रोत्रियअगर दोनो रूठे रहे, तो फिर मनाएगा कौन?लब दोनो ने सिले, तो सच बताएगा कौन?तुम अपने ख़यालो मे, मै अपने ख़यालो मेयदि दोनो खोए रहे, तो फिर जगाएगा कौन?ना तुमने मुड़कर देखा, ना मैने कुछ कहाँऐसे सूरते हाल मे, तो फिर बुलाएगा कौन?मेरी चाहत धरती, तुम्हारी चाहत आसमानक्षितिज तक ना चले, तो म